Parliament News: टोल वसूली के बावजूद सड़को की स्थिति बदहाल, रोड़ टैक्स लेने के बावजूद टोल वसूलना नैतिक मूल्यों के खिलाफ हनुमान बेनीवाल
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New Delhi लोक सभा के प्रश्नकाल में गुरुवार को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल का
सड़क,परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 3000 रुपए लेकर शुरू की जा रही वार्षिक टोल व्यवस्था के संदर्भ में प्रश्न पूछा जिसका लिखित जवाब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दिया | सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि सरकार की इस नीति में आम जनता और परिवहन क्षेत्र के साथ स्पष्ट भेदभाव हो रहा है,यह योजना केवल निजी (गैर-व्यावसायिक) वाहनों तक सीमित है और इसमें वाणिज्यिक वाहनों जैसे टैक्सी, ट्रक और बसों को शामिल नहीं किया गया है, जबकि सबसे अधिक टोल इन्हीं से वसूला जाता है ।
इस योजना से सरकार खुद की पीठ जरूर थपथपा रही है मगर छोटे व्यापारियों, किसानों और रोजमर्रा का सफर करने वाले लाखों वाहन चालकों के हितों की तरफ सरकार ने ध्यान ही नहीं दिया है वहीं यह योजना केवल केंद्र सरकार के अधीन राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे तक सीमित है, जबकि राज्य सरकारों द्वारा संचालित टोल सड़कों पर इसे लागू करने की कोई ठोस योजना नहीं है इससे जिस लाभ की बात सरकार कर रही है वो केवल सीमित रह जाएगा।
सांसद ने कहा कि इस योजना में एक और बड़ी खामी यह है कि इसमें वार्षिक पास पर केवल 200 क्रॉसिंग की सीमा तय की गई है, जो व्यावहारिक नहीं है और रोज यात्रा करने वालों पर अतिरिक्त बोझ डालेगी। अगर हम आंकड़ों पर गौर करेंगे तो यह तथ्य सामने आयेंगे कि विगत 10 वर्षों में टोल वसूली लगातार बढ़ी है, 2015-16 में जहां ₹17,000 करोड टोल वसूला गया था, वह 2024-25 तक ₹47,000 करोड़ तक पहुंच गया है, यानी लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है लेकिन इसके बावजूद सड़कों की हालत जगह-जगह खराब है और कई स्थानों पर मंत्री जी की घोषणा के बावजूद 60 किलोमीटर से भी कम दूरी में दो-दो टोल प्लाजा अब भी संचालित हो रहे है |
मेरी सरकार से मांग है कि वार्षिक पास योजना को सभी टोल सड़कों पर लागू किया जाए, वाणिज्यिक वाहनों को भी इसका हिस्सा बनाया जाए, और टोल दरों व दूरी की नीति में पारदर्शिता और व्यावहारिकता लाई जाए। एक तरफ जब डिजिटल इंडिया के तहत हर चीज आसान बनाने की बात हो रही है तो दूसरी तरफ एक ईमानदार टैक्सी ड्राइवर , पिक अप और कैम्पर चलाने वाले व्यक्ति को हर रोज चार बार टोल क्यों चुकाना पड़ता है,क्या यही न्याय है ?