Same Sex Marriage: समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला आ गया है । सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में कुछ कर फैसला हैं। कुछ सहमति के हैं और कुछ असहमति।
Same Sex Marriage
Same Sex Marriage: अदालत ने कहा कि अदालत कानून नहीं बन सकता लेकिन व्याख्या कर सकता है। इसके अलावा सीजीआई ने कहा कि जीवन साथी चुनना जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। साथी चुनने और उसे साथी के साथ जीवन जीने की क्षमता जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में आती है। जीवन के अधिकार के अंतर्गत जीवनसाथी चुनने का अधिकार है एलजीबीटी समुदाय समिति
यह कहना सही नहीं होगा कि गे सेक्स सिर्फ अर्बन तक ही सीमित नहीं है ऐसा नहीं है यह केवल अर्बन तक सीमित है या कोई अंग्रेजी बोलने वाले सफेद नहीं है जो समलैंगिक होने का दावा कर सकते हैं बल्कि गांव में कृषि कार्य में भी लगी एक महिला भी समलैंगिक होने का दावा कर सकती है शहरों में रहने वाले सभी लोगों को कुलीन नहीं कहा जा सकता समलैंगिकता मानसिक बीमारी नहीं हैll
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गे सेक्स मैरिज को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता नहीं दिया जा सकता है। संविधान के मुताबिक स्त्री पुरुष की शादी है लेकिन मौलिक अधिकार नहीं है। समलैंगिक विवाह करने वालों को भी कानूनी अधिकार दिए जा सकते हैं। जिन्हें तय करने के लिए कमेटी बनाई जाएगी कानूनी अधिकार देकर समलैंगिकों के साथ हो रहे भेदभाव को दूर किया जा सकता है। हालांकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (A) E के तहत किसी व्यक्ति को शादी करने का अधिकार है। लेकिन कुछ मामलों में जीवनसाथी चुनने के अधिकार पर भी कानूनी रोक लगाई गई है। ट्रांसजेंडर महिलाओं को पुरुष से और पुरुष ट्रांसजेंडर को महिला से शादी करने का अधिकार है लेकिन कोर्ट स्पेशल मैरिज एक्ट को असंवैधानिक करार नहीं कर सकते।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में 18 मामले की सुनवाई रोहित 11 में 2023 को याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था वहीं सुनवाई करने वाले पीठ में मुख्य न्यायाधीश डिवाइस चंद्रचूड ,जस्टिस एसके कॉल, भट्ट हेमा कोहली और एल नरसिंहा शामिल थे। याचिका दाखिल करने वालों में कपल सुप्रिया चक्रवर्ती और अभयदांग पाथ, फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज आनंद शामिल है। इनके अलावा भी इससे अधिक याचिकाया दाखिल की गई थी जिनमें से ज्यादातर समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने से जुड़ी थी। जिसमे कहा गया की स्पेशल मैरिज एक्ट में अंतर धार्मिक और अंतर जाति विवाह को संरक्षण मिला है लेकिन समलैंगिक जोड़ों के साथ भेदभाव किया जाना गया है जो उचित नहीं है।
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