Sanatana Vs Secular: लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले सनातन धर्म को लेकर राजनीति तेज हो गई है। डीएमके के नेता उदयनिधि स्टालिन (Udday Nidhi Stalin) ने पिछले दिनों सनातन धर्म की तुलना मलेरिया और कोरोनावायरस से करते हुए इसे खत्म करने की बात कही।
Sanatana Vs Secular
Loksabha Election 2024: इस बयान से उन्होंने भाजपा को हिंदुत्व के पिच पर एक बार फिर से खुलकर खेलने का मौका दे दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी राज्य मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के दौरे पर गुरुवार को जिस तरह से सनातन के मुद्दे को उठाकर विपक्षी गठबंधन इंडिया पर जोरदार हमला बोला। उससे एक बात तो साफ हो गई है कि बीजेपी इस मुद्दे के बहाने विपक्ष पर सिर्फ निशाना ही नहीं साधने जा रही है बल्कि 2023 के विधानसभा चुनाव के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनाव में सनातन धर्म बनाम सेक्युलर का एजेंडा भी सेट करने की रणनीति बना रही है।
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Sanatana Vs Secular मध्य प्रदेश (Madhyapradesh) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सियासी समीकरण को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सनातन विवाद के बहाने विपक्षी गठबंधन को आडे हाथो लिया उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन ने भारतीय आस्था संस्कृति पर हमला करने और सनातन को समाप्त करने की साजिश बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर निशाना चाहते हुए कहा इस घमंडी का गठबंधन की नीयत है कि भारत को जिन विचारों और संस्कारों ने हजारों वर्ष से जोड़ा उसे तबाह कर दो। यह लोग सनातन के संस्कारों और परंपराओं को समाप्त करने का संकल्प लेकर आए हैं।
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी सनातन को अपने जीवन के लिए आवश्यक मानते थे है कि उनके अंतिम शब्द “हे राम थे” ।
प्रधानमंत्री ने के भी कहा कि घमंडिया गठबंधन ने स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) लोकमान्य तिलक (Lokmanya Tilak ) और देवी अहिल्याबाई होल्कर (Devi Ahilyabai Holkar) को प्रेरित करने वाली सनातन संस्कृति और परंपराओं को खत्म करने का संकल्प लिया है। यह सनातन की ताकत है कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai) ऐसा कर सनातन को गांधी जी (Mahatma Gandhi) के जीवन पर्यन्त सनातन ने उन्हें अस्पृश्यता के खिलाफ आंदोलन चलाने के लिए प्रेरित किया। घमंडिया गठबंधन के लोग उसे सनातन परंपरा को समाप्त करना चाहते हैं।
उदयानिधि स्टालिन की टिप्पणी पर करने के बाद भाजपा नेताओं की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सनातन के मसले पर आक्रामक तरीके से विपक्ष को घेरने के लिए कहा। इसके बाद सनातन के मुद्दे पर भाजपा ने अपनी पूरी टीम को उठा रखा है और छोटा बड़ा विपक्षी गठबंधन इंडिया को गर्ने के साथ-साथ कांग्रेस को भी कटघरे में खड़ा करने में जुट गया है।
सनातन बनाम सेकुलर राजनीति
भारत की कुल आबादी में हिंदुओं की संख्या करीब 110 करोड़ है जिसमें से 80 फ़ीसदी से ज्यादा लोग सनातन धर्म के मानने वाले हैं। भाजपा हिंदुत्व (Hindutva) की राजनीति आक्रामक तरीके से कर रही है। जबकि विपक्षी गठबंधन सेकुलर पॉलिटिक्स कर रहा है। विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल ज्यादातर दलों को फोकस मुस्लिम वोटर पर है जिसके चलते वह जाकर भी हिंदुत्व के सियासत नहीं कर पाते।
उद्धव ठाकरे की शिवसेना (Shivsena UTB) ही हिंदुत्व की राजनीति करने वाली पार्टी रही है लेकिन विपक्षी खेमे में आने के बाद उसके तेवर बदल गए हैं। इस तरह विपक्षी गठबंधन का फोकस सेकुलर पॉलिटिक्स पर ही केंद्रित हो गया है । ऐसे में सनातन का मुद्दा दक्षिण भारत के तमिलनाडु से भले ही उठाया गया हो लेकिन उसे लेकर उत्तर भारत की सियासत जरूर गरमा गई है।
देखा जाए तो लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) में सनातन बनाम सेकुलर राजनीति की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है। कांग्रेस सहित विपक्षी गठबंधन भले ही अब सनातन पर खामोशी बनाए हुए हो लेकिन बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) जिंदा रखना चाहते हैं। भाजपा के लिए सियासी तौर पर सनातन का मुद्दा संजीवनी बन सकता है क्योंकि हिंदू विरोधी आरोपी के चलते ही कांग्रेस को सियासी नुकसान उठाना पड़ा है इसलिए कांग्रेस और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह को अपनाया लेकिन उदय निधि स्टालिन ने सनातन का मुद्दा उठाकर फिर से विपक्षी गठबंधन इंडिया के सामने सियासी संकट खड़ा कर दिया है।
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