नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन को जमानत देते हुए कहा की जेल में रहते हुए उसके आचरण, शैक्षिक योग्यता और बीमारी के आधार पर जमात दी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद 32 साल बाद आजीवनकारावास की सजा काट रहे पेरारिवलन मिली जमानत, फिलहाल वह सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद वह पेरोल पर है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के पेरारिवलन को जमानत देने का ASG नटराजन ने विरोध करते हुए कहा कि उसे फांसी की सजा मिली थी लेकिन सजा में देरी की वजह से उसकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। अब तमिलनाडु के राज्यपाल के पास इसकी क्षमा याचना की अपील पेंडिंग है ऐसे में इसे जमानत देना कानून संवत नहीं होगा। हालांकि राज्यपाल ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कह चुका कि इस मामले में राष्ट्रपति ही कोई निर्णय ले सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले पर कहा था कि राज्य सरकार की मंजूरी के बाद भी उसकी क्षमा याचना जो कि राज्यपाल के पास लंबित है उस पर कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं यह उचित नहीं है। इस पर विचार किया जाना चाहिए कि राज्य सरकार की मंजूरी के बाद क्या राज्यपाल अपील पर निर्णय लिए बिना रह सकते हैं। इस मामले पर तमिल नाडु सरकार ने उसकी उम्र कैद को भी खतम करने के लिए रेजोल्यूशन पास किया था। जो कि राज्यपाल के पास लंबित है।
रिपोर्ट- धर्मेन्द्र सिंह