Swami Dayanand Saraswati: दिल्ली: आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वीं जयंती के अवसर पर दिल्ली के डॉक्टर अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में गुरुवार 21 मार्च 2024 को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय दयानंद सेवा आश्रम संघ के अध्यक्ष तथा जय भारत मारुति लिमिटेड के चेयरमैन श्री सुरेंद्र कुमार आर्य जी मुख्य अतिथि तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री अरुण कुमार जी मुख्य वक्ता थे।
Swami Dayanand Saraswati
Swami Dayanand Saraswati: कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि महापुरुषों की जयंती केवल उनके जीवन का स्मरण नहीं होता। उसके साथ चार बातें जुड़ी होती है। इसका उद्देश्य केवल उनके जीवन पर चर्चा करना नहीं होता। जब हम उस महापुरुष का स्मरण करते हैं तो उस कालखंड का भी स्मरण करते हैं। उस कालखंड की चुनौतियों का भी स्मरण करते हैं और उन चुनौतियों के सामने उस महापुरुष के योगदान का भी स्मरण करते हैं।
जब हम उनको अपना आदर्श मानते हैं तो हम सबको अपने आत्म जीवन का आत्मावलोकन का भी अवसर होता है। इसका एक उद्देश्य महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन, योगदान एवं उनके दिखाए गए मार्ग की दृष्टिकोण में आज की चुनौतियों का उत्तर प्राप्त करना भी है।
उन्होंने कहा कि महर्षि जी के जीवन के सभी पक्षों का अध्ययन करने की जरूरत है। जिस पृष्ठभूमि में दयानंद जी ने कार्य किया वह समझना भी जरूरी है।
अरुण कुमार ने कहा कि इस देश के महापुरुषों ने दूसरे देशों में जाकर कहा कि हमको देखो और हममें कुछ खास लगे तो हमारी तरह बन जाओ। लेकिन इस्लाम का आक्रमण देश का ऐसा कालखंड था जिसमें हमारे सभी संस्थाएं नष्ट हो गई। अकल्पनीय अत्याचार हुआ। विश्व गुरु एवं ज्ञान के केंद भारत में समाज का अवमूल्यन हुआ। समाज रूढ़िवादी हो गया, खोल में चला गया, आत्म केंद्रित हो गया। समाज में जो कुरीतियां दिखाई दे रही है वह इस्लाम के आक्रमण का परिणाम था। अंग्रेजों के आने के बाद समाज की आत्म स्मृति नष्ट हो गई और वह हीन भावना का शिकार हो गया।
उन्होंने बताया कि ऐसे में स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने देश की चेतना को झकझोरा, जड़ता को समाप्त कर समाज की चेतना को जागृत किया। महर्षि जी ने कहा कि अपने स्व को समझना है तो अपने मूल ग्रंथो को अपने स्व के आधार पर अध्ययन करना होगा। हम क्या हैं समझना है और क्या करना है तो वेदों को पढ़िए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुरेंद्र कुमार आर्य जी ने कहा की वेदों की ओर लौटने का जो मार्ग महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने दिखाया वह उनका सबसे बड़ा योगदान है।
आर्य समाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ विनय कुमार विद्यालंकार जी ने कहा कि प्रश्न सभी के मन में आते हैं लेकिन उसे प्रश्न का कारण खोजने के लिए जब कोई व्यक्ति खड़ा हो जाता है तो वह विचारक हो जाता है।
उन्होंने सनातन का अर्थ बताते हुए कहा कि सनातन वह है जो सृष्टि के आरंभ में भी सत्य था, सृष्टि के मध्य में भी सत्य था, आज भी सत्य है और भविष्य में भी सत्य होगा।
महर्षि दयानंद सरस्वती जन्मोत्सव आयोजन समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रांत संघचालक डॉ अनिल अग्रवाल जी एवं आर्य समाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ विनय कुमार विद्यालंकार जी की विशिष्ट अतिथि थे।