स्वामी प्रसाद मौर्या अब पड़रौना से नहीं,फाजिलनगर से क्यों लड़ेंगे चुनाव ?

लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव से कुछ हीं दिन पहले बीजेपी छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्या अब पड़रौना से चुनाव न लड़कर, उसके बगल वाली सीट फाजिलनगर से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि पड़रौना विधानसभा क्षेत्र भी कुशवाहा-मौर्य बाहुल्य माना जाता है, और इसके पहले भी स्वामी प्रसाद मौर्या इसीलिये पड़रौना सीट से हीं चुनाव लड़ते और जीतते रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ हाल हीं में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले आर पी एन सिंह का पड़रौना सीट से लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि शायद स्वामी प्रसाद मौर्या ने इसीलिये अपनी सीट बदली है।

गौरतलब है कि आर पी एन सिंह कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र से सांसद और पड़रौना सीट से विधायक भी रह चुके हैं। वहां की पिछड़ी जाति कुर्मी-सैंथवार से आने वाले आर पी एन सिंह का नाम पूर्वांचल के दिग्गज नेताओं में शुमार है। और यह माना जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के द्वारा पड़रौना सीट छोड़ने बाद बीजेपी आर पी एन सिंह के सहारे उसपर कब्जा जमाने की पूरी कोशिश करेगी।

गौरतलब है कि सन 2017 में, यूपी विधानसभा चुनाव से जस्ट पहले बसपा के विधानमंडल दल के नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्या ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। स्वामी प्रसाद मौर्या कुशीनगर जिले के पड़रौना सीट से हीं पिछला चुनाव जीते थे और योगी सरकार में मंत्री बनाये गये थे। लेकिन इसबार वहां के लोकप्रिय स्थानीय नेता आर पी एन सिंह के बीजेपी में आ जाने से मौर्या को उस सीट का समीकरण गड़बड़ाते हुए लग रहा है।

आर पी एन सिंह पड़रौना सीट से 1996, 2002, और 2007 में विधायक रहे हैं। इनका पूरा नाम कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह है और इनको वहां के लोग राजा साहेब कहकर संबोधित करते हैं। इस विधानसभा में लगभग 3 लाख 40 हजार से अधिक मतदाता हैं। लगभग 10 फीसदी क्षत्रिय, 8 फीसदी वैश्य, 14 फीसदी मुस्लिम, 17 फीसदी अनूसुचित जाति, 5 फीसदी यादव और लगभग 11 फीसदी कुशवाहा-मौर्य वोटर हैं।

हालांकि ये तो स्पष्ट है कि स्वामी प्रसाद मौर्या के लिये ये फाजिलनगर की सीट पर भी मुकाबला आसान नहीं रहेगा। क्योंकि पिछले दो बार से यहां बीजेपी का दबदबा रहा है। इस सीट से भाजपा के पूराने स्थानीय नेता गंगासिंह कुशवाहा के बेटे सुरेंन्द्र सिंह कुशवाहा को बीजेपी से टिकट मिला है। गंगा सिंह ने वर्ष 2012 और 2017 में बीजेपी से लगातार जीत हासिल की थी और वहां के स्थानीय कुशवाहा-मौर्या वोटरों पर मसबूत पकड़ माना जाता है। 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लहर के बावजूद भी गंगा सिंह कुशवाहा 2012 में करीब 5 हजार वोटों से जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे थे। 2017 में गंगा सिंह कुशवाहा ने सपा प्रत्याशी को लगभग 42 हजार वोटों से हराया था।

रिपोर्ट- संदीप तिवारी

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