नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में स्वर्गीय रमेश प्रकाश के जीवन और योगदान को समर्पित उनकी जीवनी प्रधान पुस्तक “तन समर्पित, मन समर्पित” का अत्यंत ही मार्मिक और प्रेरक लोकार्पण हुआ। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी, दिल्ली की मुख्यमंत्री
रेखा गुप्ता जी, इंडिया टुडे समूह की अध्यक्ष कली पुरी जी और स्वर्गीय रमेश प्रकाश की पत्नी आशा शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति ने इस अवसर को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया, क्योंकि प्रत्येक ने रमेश जी की असाधारण जीवन-यात्रा को प्रतिबिंबित किया, जिसमें समाज कल्याण के प्रति उनके समर्पण, उनकी अटूट सेवा भावना और राष्ट्र के प्रति उनके अटूट प्रेम का जश्न मनाया गया।
सभा को संबोधित करते हुए, डॉ. मोहन भागवत ने रमेश जी के प्रेरणादायक गुणों पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि कैसे उनके जीवन में त्याग, अनुशासन और सामाजिक सद्भाव के प्रति अथक प्रतिबद्धता के आदर्श प्रतिबिम्बित हुए। एक समर्पित कार्यकर्ता की पहचान उपाधियों, धन या सार्वजनिक प्रशंसा से नहीं, बल्कि आंतरिक अनुशासन, विनम्रता और व्यापक हित के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता से होती है।
ऐसा व्यक्ति शांत, त्याग की भावना से परिपूर्ण होता है, हमेशा ज़िम्मेदारियों को निभाने के लिए तत्पर रहता है, कभी भी पहचान की चाह नहीं रखता, और हमेशा अपने उदाहरण से दूसरों को प्रेरित करता रहता है। रमेश जी इन गुणों के प्रतीक थे। उनकी सबसे बड़ी शिक्षाओं में से एक थी – राष्ट्र सेवा पारिवारिक ज़िम्मेदारियों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। गृहस्थ आश्रम के ढांचे के भीतर, उन्होंने हमें दिखाया कि कैसे परिवार का पालन-पोषण प्रेम और जिम्मेदारी से किया जा सकता है, और साथ ही, उसी भावना को समाज और राष्ट्र तक भी पहुँचाया जा सकता है। व्यक्तिगत कर्तव्यों को जनसेवा के साथ सामंजस्य बिठाकर, उन्होंने प्रदर्शित किया कि दोनों अलग नहीं, बल्कि पूरक हैं। डॉ. भागवत ने प्रकाश जी की असाधारण सादगी और समर्पण पर भी विचार किया, और इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसे व्यक्तित्व समाज के नैतिक ताने-बाने को मज़बूत करते हैं और बिना किसी पहचान या सामाजिक प्रतिष्ठा की लालसा के, रमेश ने राष्ट्र और उसके लोगों के कल्याण के लिए निरंतर परिश्रम किया, और अपने आदर्श की शांत उदात्तता से सभी को प्रेरित किया।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान की सराहना की और इस बात पर ज़ोर दिया कि कैसे उनके मूल्य समाज की सेवा में पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। भारत के बौद्धिक और मीडिया जगत की ओर से बोलते हुए, कली पुरी ने इस पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि यह राष्ट्र निर्माण में व्यक्तिगत त्याग के महत्त्व की समयोचित याद दिलाती है और पंच परिवर्तन के विचार के महत्त्व पर भी प्रकाश डालती है। यह पुस्तक रमेश प्रकाश जी की अथक यात्रा को दर्शाती है, जिनका जीवन निस्वार्थ सेवा, सामाजिक कल्याण और राष्ट्रीय उत्थान के लिए समर्पित था।
सुरुचि प्रकाशन से सद्य: प्रकाशित यह पुस्तक रमेश प्रकाश की अथक जीवन-यात्रा को प्रकाशित करती है। एक ऐसा जीवन जो अनवरत निस्वार्थ सेवा, समाज कल्याण और राष्ट्र उत्थान के लिए समर्पित रहा। प्रकाश जी सत्यनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ, अनुशासित तो थे ही, वे त्याग और देशभक्ति के उन आदर्शों के प्रतीक थे, जिन्हें आरएसएस ने सदैव पोषित किया है। सामुदायिक विकास और युवा लामबंदी से लेकर सांस्कृतिक संरक्षण और राष्ट्र निर्माण के प्रयासों तक, उनका कार्य पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
सुमित मलुजा ने कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया और कहा- राष्ट्र के उत्थान और परम वैभव को अपने आचरण में उतार कर रमेश प्रकाश जी अमर हो गए।
इस कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता और रमेश जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरित-प्रभावित प्रशंसकों ने शिरकत की तथा राष्ट्र एवं समाज कल्याण के प्रति उनके सरल, विनम्र एवं पूर्णतः समर्पित जीवन को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही काफी बड़ी संख्या में विद्वान, साहित्यकार, पत्रकार, शोधार्थी, विद्यार्थी भी उपस्थित रहे। इतनी भारी संख्या के बीच “तन समर्पित, मन समर्पित” का लोकार्पण उसकी इस महत्ता को दर्शाता है कि यह केवल साहित्यिक अवसर मात्र नहीं, बल्कि जीवन-मूल्यों का उत्सव भी था, जिसने समस्त उपस्थित जनों को पुनः स्मरण कराया कि सेवा का सार राष्ट्र और उसकी जनता के प्रति अटूट समर्पण में सन्निहित है।
सुरुचि प्रकाशन के रजनीश जिंदल जी ने सभागार में उपस्थित सभी जनों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया तथा वंदे मातरम् गीत से कार्यक्रम का समापन हुआ।