Tribal Politics: किधर जायेंगे आदिवासी, देश में कितनी है सियासी ताकत

Hemant Soren

Tribal Politics: झारखंड झारखंड में जमीन घोटाले के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से राज्य और खासतौर पर देश के आदिवासी बेल्ट की रियासत किस करवट बैठेगी इस सवाल का जवाब दिल्ली से लेकर रांची तक तलाशा जा रहा है ।जवाब ढूंढने की वजह भी है।

Tribal Politics

Tribal Politics: अब से कुछ ही महीने बाद 18वीं लोकसभा का चुनाव प्रस्तावित है जिसमें आदिवासियों के लिए 47 सीट रिजर्व है यह कुल सीटों का 9 फीसदी है।

  • शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन की गिनती देश के सबसे बड़ी आदिवासी नेता के रूप में होती है शिबू सेरेन को आदिवासी ढिशुम गुरु यानी कि देश का गुरु भी कहा जाता है।
  • जानकार बताते हैं कि यही वजह है कि जिसके कारण हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को विपक्ष ने आदिवासी अस्मिता से जोड़ दिया जबकि सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं ने इस पर चुप्पी साधी हुई है।
  • शिबू सोरेन ने अपने करियर की शुरुआत महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन करके की थी उन्होंने जल जंगल और जमीन का नारा दिया था जो आदिवासियों का मूल स्लोगन था ।
  • साल 1975 में शिबू सोरेन पर हत्या का मामला दर्ज हुआ था इस वजह से शिबू सोरेन को कई महीने अंडरग्राउंड रहना पड़ा साल 1977 में शिबू सेरेन पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरे लेकिन उनका हर का सामना करना पड़ा 1980 के चुनाव में शिबू सोरेन दुमका से चुनावी मैदान में उतरे और जीत हासिल कर संसद पहुंचे शिबू सोरेन इसके बाद झारखंड आंदोलन से जुड़ गए।
  • 2000 में जब झारखंड अलग हुआ तो उसे वक्त शिबू सेरेन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण बताई जाती है 2004 में शिबू सोरेन पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने लेकिन बहुमत नहीं होने की वजह से कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।
  • इसके अलावा शिबू सोरेन झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री और केंद्र में भी मंत्री रह चुके हैं शिबू सोरेन परिवार के वर्तमान में चार संसद सदस्य । सियासत में है शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन झारखंड के दो बार मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद रहे हैं।
  • शिबू सोरेन के छोटे बेटे बसंत और बड़ी बहू सीता भी विधायक है शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के मुखिया है जो वर्तमान में झारखंड विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है।सोरेन का प्रभाव ऐसा कहा जाता है कि बिहार बंगाल छत्तीसगढ़ के आदिवासी सीटों पर भी पड़ता है।
  • आदिवासी नाराज हुए तो कितना असर पड़ेगा सबसे अहम सवाल की हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से अगर आदिवासी नाराज हो गए तो इसका असर आने वाले लोकसभा चुनाव और झारखंड के विधानसभा चुनाव में होगा ये बड़ा सवाल बना हुआ है ।

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