भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह
शोध अब पूसा में नहीं, किसानों की जरूरत के हिसाब से होगा, इसके लिए वन टीम, वन टास्क- शिवराज सिंह
हमारी उपलब्धियाँ हैं लेकिन चुनौतियाँ भी, हमें बढ़ती आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है- शिवराज सिंह
किसानों से शिवराज सिंह की अपील- “जहां भी नकली खाद-बीज की आशंका है, तुरंत 18001801551 टोल फ्री नंबर पर खबर करो, बेईमानों को मैं छोडूंगा नहीं”
हम सीड एक्ट और पेस्टिसाइड का एक्ट भी बना रहे हैं, जिसमें कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान रहेगा- शिवराज सिंह
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का संकल्प है किसानों का हित, 2 लाख करोड़ रु. की तो फर्टिलाइजर सब्सिडी ही देते हैं- शिवराज सिंह
कृषि वैज्ञानिक किसानों की आय बढ़ाने के साथ ही विकसित भारत के निर्माण में योगदान दें- शिवराज सिंह
नई दिल्ली, 16 जुलाई 2025, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर शिवराज सिंह ने कहा कि शोध अब पूसा में नहीं, बल्कि किसानों की जरूरत के हिसाब से होगा, इसके लिए वन टीम, वन टास्क। रिसर्च होगा डिमांड ड्रिवन। साथ ही, शिवराज सिंह ने किसानों से अपील की है कि जहां कहीं भी नकली खाद-बीज की आशंका है, तुरंत 18001801551 टोल फ्री नंबर पर खबर करो, बेईमानों को मैं छोडूंगा नहीं। उन्होंने कहा कि हम सीड एक्ट और पेस्टिसाइड का एक्ट भी बना रहे हैं, जिसमें कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान रहेगा।
ICAR के स्थापना दिवस पर सभी वैज्ञानिकों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि आज आनंद का दिन है, आज हमारे लिए गर्व का विषय है। हम जब गीत सुनते हैं, तो उसमें जो जय है, वो गीत के लिए नहीं है, जय ICAR है, यहाँ का दीपक, हवाएँ, काली घटाएँ, फसलें सब बोल रही हैं जय ICAR। गाय-बैल, भेड़-बकरी, मछली सभी कह रहे हैं जय ICAR। 80 करोड़ लोगों को निःशुल्क राशन मिल रहा है, वो भी कह रहे हैं जय ICAR।कभी हम अमेरिका का सड़ा हुआ PL 480 गेहूँ खाने पर विवश थे। आज गर्व है कि देश के अन्न के भंडार भर रहे हैं, हम गेहूँ एक्सपोर्ट कर रहे हैं। चावल हमारे पास इतना है कि रखने की जगह नहीं है। हमने इस साल रिकॉर्ड उत्पादन किया है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि हमारा खाद्यान उत्पादन हरित क्रांति के दौरान 1966-79 तक 2.7 मिलियन टन हर साल बढ़ा। 1980-90 तक 6.1 मिलियन टन, 1990-2000 तक 3.9 मिलियन टन, 2000-13 तक 3.9 मिलियन टन। लेकिन 2014 से 2025 तक यह बढ़ा 8.1 मिलियन टन हर साल। हरित क्रांति ने देश की दिशा बदल दी, लेकिन ढाई से तीन गुना ज्यादा उत्पादन बढ़ा है उसके मुकाबले पिछले 10-11 सालों में। क्लाइमेट चेंज के खतरे, बढ़ता तापमान, घटती कृषि भूमि, अर्बनाइजेशन के बावजूद उत्पादन बढ़ा है।
शिवराज सिंह ने आंकड़ों सहित बताया कि फल और सब्जी में 1966-80 में उत्पादन बढ़ा 1.3 मिलियन टन प्रतिवर्ष, 1980-90 तक बढ़ा 2 मिलियन टन, 1990-2000 तक बढ़ा 6 मिलियन टन, 2000-2014 तक बढ़ा 8.2 मिलियन टन, उसके बाद अब 7.5 मिलियन टन उत्पादन बढ़ रहा है। मिल्क प्रॉडक्शन की बात करें, तो हम नस्लों में सुधार कर रहे हैं। 1966-80 में उत्पादन बढ़ा 0.9 मिलियन टन प्रतिवर्ष, 1980-90 तक बढ़ा 2.2 मिलियन टन, 1990-2000 तक बढ़ा 2.5 मिलियन टन, 2000-2014 तक बढ़ा 4.2 मिलियन टन, 2014-25 तक 10.2 मिलियन टन प्रतिवर्ष उत्पादन बढ़ रहा है। इसी तरह, मछली के क्षेत्र में, पॉल्ट्री के क्षेत्र में भी उत्पादन बढ़ रहा है। इसका श्रेय उन्होंने किसानों और अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिकों को दिया।
शिवराज सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक मेरे लिए आधुनिक महर्षि हैं, वो अपनी बुद्धि का उपयोग करते हैं। उन्होंने एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे, वो रिसर्च में लगे रहते थे। उनकी शादी हो गई, तब भी लैब में डटे रहे। रिसर्च पूरा हुआ तो उन्होंने खाना देने वाली से पूछ लिया कि तुम हो कौन, वो उनकी पत्नी थी। वो रिसर्च में इतने खो गए थे कि उनको किसी चीज का पता ही नहीं था।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि हमारी उपलब्धियाँ हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी हैं। खाद्य सुरक्षा हमें बढ़ती आबादी के लिए सुनिश्चित करना है। दुनिया में आबादी घट रही है, चीन और जापान चिंतित हैं। हमारी जनसंख्या बोझ नहीं है, हम इसको ताकत बना सकते हैं। हमें भरपूर खाद्यान्न चाहिए, पोषणयुक्त आहार चाहिए, साथ में धरती के स्वास्थ्य को बनाकर भी रखना है। कैमिकल फर्टिलाइजर, कीटनाशक ऐसे न हो जाएं कि धरती उत्पादन करना ही बंद कर दे।
शिवराज सिंह ने कहा कि केवल बीज बांटने से डायवर्सीफिकेशन नहीं होगा। अपनी आयात-निर्यात नीति अगर ऐसी कि जिसमें ज्यादा फायदा होगा तो किसान डायवर्सीफिकेशन करेगा। वैज्ञानिकों के सामने चुनौती है, प्रति हेक्टेयर उत्पादन दलहन-तिलहन का बढ़वाएँ। फ्रांस में 68.80 क्विंटल पर हेक्टेयर उत्पादन है, हम 50 के आसपास हैं। अन्य फसलों में भी प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है।कपास में सवाल उठा कि आपने इतनी किस्में जारी की लेकिन उत्पादन घट गया। बीटी कॉटन में वायरस का अटैक हुआ, उसका उत्पादन घट गया। गन्ने में रेड रोग लग जाता है। जहाँ हमारी फसलें प्रभावित हो रही हैं, वहाँ रिसर्च की जरूरत है।किसान कह रहे हैं कि ऐसी मशीन बना दो कि खाद का पता चल जाए नकली है या असली। ये डिमांड जायज है। सरकार की ड्यूटी है। कहीं बीज लिया, वो उगा ही नहीं, इसमें किसान क्या करे? कंपनी हाथ खड़े करके अलग हो जाती है। हम इस संबंध में कड़े कदम उठा रहे हैं।

शिवराज सिंह ने कहा कि अभी 30 हजार बायोस्टिम्यूलेन्ट बिक रहे थे, कोई तरीका ही नहीं था। व्यवस्था बनी कि इसको ICAR की कोई संस्था से प्रमाणित करवाना पड़ेगा। इसी तरह, किसान कह रहे हैं कि हमारे लिए छोटी मशीनें बनाओ, जो छोटे जोत पर चल सकें। टमाटर की शेल्फ लाइफ बढ़ाओ। जो विषय किसानों ने दिया हैं, हमें उन पर शोध करना चाहिए।MOU करते समय ध्यान रखें कि किस दाम पर किसानों को बीज बेचा जा रहा है। MRP क्या हो, उसे तय करने का कोई साइंटिफिक तरीका हो। किसानों ने कहा कि जैसे जेनेरिक दवाई की आपने दुकान खोली है, वैसे ही आप पेस्टिसाइड की भी दुकान खोल दीजिए।
शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का संकल्प है किसानों का हित। 2 लाख करोड़ की तो फर्टिलाइजर सब्सिडी ही देते हैं। 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपए का फसल बीमा क्लेम दे चुके हैं। पोलीहाउस, ग्रीन हाउस सब्सिडी जैसी कई सुविधाएँ हैं। ICAR के स्थापना दिवस को हम किसानों की जरूरत के शोध का संकल्प करके अर्थपूर्ण बना दें, ये मेरी प्रार्थना है और आह्वान भी है। वैज्ञानिकों से उन्होंने कहा कि आपमें प्रतिभा है, क्षमता है, योग्यता है। आप इसे टास्क मत मानिए। वैज्ञानिक का जीवन यज्ञ है। वो दूसरों के लिए अपने आपको झोंकता है। भारत ही नहीं, दुनिया के लिए है आपका जीवन क्योंकि भारत सारी दुनिया को एक परिवार मानता है। आंतरिक देवत्व का आह्वान करते हुए संकल्प लीजिए कि हम अपने टैलेंट का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करेंगे, उन विषयों पर जो जरूरी है। भारत के किसानों की आय तो बढ़ाएंगे ही लेकिन विकसित भारत के निर्माण में अपना योगदान देंगे।भौतिकता की अग्नि में दग्ध विश्व मानवता को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन भारत ही करा सकता है।
उन्होंने कहा कि इंटीग्रेटेड फ़ार्मिंग के क्षेत्र में भी हमें काम करना है। पशुपालन, मछलीपालन, बैंबू मिशन जैसे सभी काम एक छोटे से खेत में हो।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी, केंद्रीय कृषि सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी, ICAR के महानिदेशक डॉ. मांगी लाल जाट ने भी विचार रखें। इस अवसर पर शिवराज सिंह ने प्रगतिशील किसानों, वैज्ञानिकों और संस्थाओं को सम्मानित किया। साथ ही उत्पाद लांच किए एवं प्रकाशनों का विमोचन किया।
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