कृषि विकास का संकल्प लिए किसान सम्मेलन में गुजरात के मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री और अन्य जनप्रतिनिधि भी हुए शामिल
15 दिन के अभियान में 55 हजार से अधिक कार्यक्रम, 1 लाख से अधिक गांवों तक पहुंच और 1 करोड़ 12 लाख किसानों से सीधा संवाद
देशभर में किसानों से संपर्क और संवाद का सिलसिला लगातार जारी रहेगा-शिवराज सिंह
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने अभियान में प्रशसंनीय भागीदारी के लिए किसानों और वैज्ञानिकों को दी बधाई
खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के माध्यम से गुजरात ने कृषि में की तेजी से तरक्की- केंद्रीय मंत्री श्री चौहान
गुजरात में प्राकृतिक खेती के शानदार प्रयास, राज्य के किसान कर रहे हैं चमत्कार-शिवराज सिंह
इस साल साढ़े सात लाख हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य– शिवराज सिंह
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में 11 साल में देश ने की अभूतपूर्व प्रगति– शिवराज सिंह
सूरत (गुजरात)/ नई दिल्ली, 12 जून 2025, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 दिवसीय विकसित कृषि संकल्प अभियान के आखिरी दिन आज गुजरात में सूरत जिले के बारडोली में किसानों से संवाद किया और किसान सम्मेलन को संबोधित किया। इसमें कृषि विकास का संकल्प लिए गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल, कृषि मंत्री श्री राघवजीभाई पटेल, श्रम व रोजगार मंत्री श्री कुँवरजी हलपति, सांसद श्री प्रभुभाई वासवा, श्री मुकेश कुमार चंद्रकांत दलाल, विधायकगण, जिला पंचायत के प्रमुख सहित अन्य जनप्रतिनिधि और वैज्ञानिक तथा आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
शिवराज सिंह ने कहा कि अभियान भले ही आज समाप्त हो रहा है, लेकिन किसानों से संपर्क और संवाद का क्रम लगातार जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल जी की इस कर्मभूमि पर आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। आज ही के दिन, 12 जून 1928 को बारडोली सत्याग्रह के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल ने बैठक की थी। अंग्रेजों के, किसानों पर 22 प्रतिशत टैक्स की वृद्धि के विरोध में उन्होंने संघर्ष छेड़ा था। महिलाओं ने इस सत्याग्रह में बड़ी हिस्सेदारी निभाई थी और यही से सरदार वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि से नवाजा गया। लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के कारण ही आज भारत एक है। 550 से ज्यादा देशी रियासतों का विलय करवाने में उनकी अतुलनीय भूमिका रही।
शिवराज सिंह ने कहा कि गुजरात अनेकों महापुरुषों की जन्मस्थली है। संत, ऋषि, महर्षि, क्रांतिकारी और देश-दुनिया को दिशा देने वाले महात्मा गांधी इसी भूमि की देन हैं। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी भी देश को गुजरात की ऐसी देन है, जिसके लिए पूरा देश गुजरात का ऋणी रहेगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में एक वैभवशाली, गौरवशाली, संपन्न, समृद्ध, शक्तिशाली और विकसित भारत का निर्माण हो रहा है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में भारत ने अभूतपूर्व प्रगति की है। आज पूरे विश्व में भारत की मजबूत पहचान स्थापित हुई है। एक नई राजनीतिक संस्कृति की शुरुआत की है। हर क्षेत्र के विकास के लिए अद्भुत कार्य किए हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘लैब टू लैंड’ के विजन को आगे बढ़ाने के लिए ही विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरुआत की गई। श्री चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। कृषि का अर्थव्यवस्था में 18 प्रतिशत का योगदान है। आज भी आधी आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। इस अभियान के अंतर्गत 16 हजार वैज्ञानिकों की 2,170 टीमों का गठन किया गया। वैज्ञानिकों की टीमों ने गांव-गांव जाकर किसानों से सीधा संवाद किया और उन तक शोध की सही जानकारी पहुंचाई। क्षेत्र की जलवायु परिस्थितियों और खेत की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किसानों को जानकारी दी गई। संतुलित उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग की जानकारी दी। साथ ही, किसानों की समस्याओं को सुनकर भविष्य में आगे शोध की दिशा तय करने का कार्य भी किया गया।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने गुजरात सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि गुजरात में प्राकृतिक खेती के प्रयास शानदार है, किसान चमत्कार कर रहे हैं। साथ ही यहां खेती में तकनीक का इस्तेमाल भी बड़े स्तर पर किया जा रहा है, जिससे किसानों को अत्यधिक लाभ पहुंचा है। धान, गेहूं, मूंगफली, मक्का, सोयाबीन का उत्पादन होता है। अरंडी, जीरा, सौंफ़, खजूर जैसे विशिष्ट कृषि उत्पादों में गुजरात का स्थान प्रथम है। देश में 77 प्रतिशत अरंडी, 44.5 प्रतिशत मूंगफली, 24 प्रतिशत कपास, 15 प्रतिशत चना उत्पादन गुजरात द्वारा ही किया जा रहा है। खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के माध्यम से गुजरात कृषि क्षेत्र में तेजी से तरक्की कर रहा है। गुजरात का किसान लगातार आगे बढ़ रहा है और देश को दिशा दिखाने का काम कर रहा है। गुजरात से कई उत्पादों का निर्यात होता है। खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के जरिए भी गुजरात के किसान उन्नति कर रहे हैं। बागवानी के क्षेत्र में भी गुजरात उन्नत है।
शिवराज सिंह ने कहा कि कई किसानों ने मुझसे प्राकृतिक खेती के संबंध में अनुभव साझा किए। किसानों द्वारा यह सुनकर प्रसन्नता हुई कि प्राकृतिक खेती से लागत घटती है और उत्पादन भी प्रभावित नहीं होता और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्राप्त होते हैं। खेती को उन्नत बनाने के छह सूत्र हैं – उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, किसानों को उत्पादन के ठीक दाम सुनिश्चित करना, नुकसान की स्थिति में उचित मुआवजा, कृषि विविधिकरण और मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित रखना।
शिवराज सिंह ने कहा कि आज भले की औपचारिक रूप से अभियान समाप्त हो रहा है, लेकिन यह अंत नहीं है। ‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ की भावना के साथ लगातार किसानों के साथ संपर्क और संवाद किया जाएगा। खेती में उन्नत किस्मों का प्रयोग, मशीनीकरण, प्रति बूंद-अधिक फसल, सिंचाई में पानी का बेहतर उपयोग, नए बीजों के प्रयोग जरूरी है, जिस दिशा में आगे बढ़ना होगा।
उन्होंने कहा कि इस साल साढ़े सात लाख हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य रखा गया है। 18 लाख किसान इसके लिए तैयार भी हुए हैं। कृषि उन्नत हो और समृद्धि के साथ किसानों के चेहरे पर मुस्कान आए, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हम दिन-रात प्रयास कर रहे हैं।
Jiशिवराज सिंह चौहान ने अभियान में उल्लेखनीय भागीदारी करने के लिए सभी किसानों और वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि लगभग 1 करोड़ 12 लाख किसानों से इस अभियान के अंतर्गत संवाद किया गया है, एक लाख से अधिक गांवों तक पहुंच सुनिश्चित हुई है। 55 हजार से ज्यादा जगह संवाद कार्यक्रम हुए। इस अभियान के दौरान ऐसे किसानों से भी मुलाकात हुई, जिन्होंने नए नवाचारों और योजनाओं का लाभ लेकर अपनी आमदनी में 10 गुना तक का इजाफा किया है। ऐसे किसान वास्तव में वैज्ञानिक है, जिनसे मार्गदर्शन भी मिलेगा। ऐसे ही सब अनुभवों और प्रयासों को लेकर कृषि की आगे की नीतियां तय करेंगे और कृषि को बेहतर बनाएंगे। इस अभियान के तहत गठित वैज्ञानिकों की 2,170 टीमों ने भी वर्चुअली हिस्सा लिया। देशव्यापी 15 अभियान की शुरुआत 29 मई को ओडिशा से हुई थी, जिसके बाद केंद्रीय कृषि मंत्री ने भी विभिन्न राज्यों का दौरा कर किसानों से किसान चौपालों, सम्मेलन और पदयात्रियों के माध्यम से संवाद किया।