UP BJP State President: पंकज चौधरी बने उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष क्या है बीजेपी की रणनीति

UP BJP State Presiden: केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और सात बार के लोकसभा सांसद पंकज चौधरी को उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया गया है ।आपको बता दे कि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि यह कहते हुए मुझे खुशी है कि सर्वसम्मति से पंकज चौधरी को UP बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुना गया है।

UP BJP State President

इस घोषणा के बाद केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पंकज चौधरी को बधाई दी सोशल मीडिया पर बधाई दी । केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने लिखा कि निश्चित रूप से पार्टी को यूपी में और अधिक मजबूत करने और उनका अनुभव कार्य कुशलता काफी मददगार साबित होगी।

आपको बता दे कि पंकज चौधरी उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के लिए नामांकन दाखिल करने वाले एकमात्र नेता थे , शनिवार को पंकज चौधरी ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया तब उस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ,बृजेश पाठक ,भूपेंद्र चौधरी के स्मृति ईरानी समेत कई दिग्गज नेता प्रस्तावक के तौर पर मौजूद रहे।

कौन है पंकज चौधरी जिन्हें मिली इतनी बड़ी जिम्मेदारी

पंकज चौधरी का जन्म यूपी के गोरखपुर में 20 नवंबर 1964 को हुआ । वह गोरखपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट है राजनीति में आने से पहले उनका पारिवारिक और सामाजिक आधार मजबूत रहा है । पंकज चौधरी के परिवार में उनकी पत्नी भाग्यश्री एक बेटा रोहन और एक बेटी श्रुति है। पंकज चौधरी ने साल 1989 में गोरखपुर नगर निगम के पार्षद के रूप में अपने सियासी जीवन की शुरुआत की थी वह साल 1990 में भाजपा के जिला कार्य समिति के अध्यक्ष बने और उसी साल उप महापौर भी बन गए थे।

साल 1991 में महाराजगंज लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुने गए इसके बाद 1996 -1998 में फिर से संसद पहुंचे ।साल 1999 में पंकज चौधरी को हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2004 में फिर से उनकी वापसी हुई और वह सांसद बने साल 2009 में एक बार फिर उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा , मगर 2014 से वे लगातार लोकसभा के लिए निर्वाचित होते आ रहे हैं।

पंकज चौधरी को संगठन सरकार दोनों का अनुभव है । ऐसा माना जाता है साल 2021 में वह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बने और वर्तमान में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं ।ऐसा माना जाता है कि पार्टी संगठन में भी उनकी पकड़ मजबूत और संघ नेतृत्व के साथ भी अच्छा संबंध है।

ओबीसी चेहरे के तौर पर अहमियत

पंकज चौधरी के उत्तर प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह सवाल उठ रहा है कि बीजेपी ने क्या सोचकर पंकज चौधरी को उत्तरप्रदेश बीजेपी की जिम्मेदारी सौंपी है राजनीतिक विश्लेषक इसे समाजवादी पार्टी के पीडीए यानी कि पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक फार्मूले के जवाब के तौर पर देख रहे हैं।

वही दूसरी और कुछ जानकारी ऐसा मानते हैं कि भाजपा नए समीकरण की तलाश कर रही है लेकिन इससे बहुत ज्यादा फायदा होने की उम्मीद नहीं है भाजपा साल 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे से डरी हुई है इस फैसले की वजह यह है कि पंकज चौधरी कुर्मी जाति से आते हैं जिनका प्रदेश के कई जिलों में काफी प्रभाव माना जाता है। (UP BJP State Presiden)

कुछ जानकारी ऐसा कहते हैं की समझ से बाहर है कि प्रदेश अध्यक्ष क्यों बनाया गया क्योंकि पूर्वांचल से मुख्यमंत्री प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का मतलब क्या है ?

वहीं दूसरी और कुछ जानकारी यह भी मानते हैं कि राजनीतिक हल्को में पंकज चौधरी योगी के विरोधी माने जाते हैं हालांकि मुख्यमंत्री के कद के आगे उनकी बराबरी नहीं है इसके अलावा वह कुर्मियों के सर्वमान्य नेता भी नहीं है।

जानकार कहते हैं कि हालांकि भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरोधी माने जाने वाले शिव प्रताप शुक्ला को राज्यपाल बनाया ,राधा मोहन दास अग्रवाल को पार्टी में महत्वपूर्ण पद दिया हुआ है । आपको बता दे की सियासी तौर पर विरोध की बात इसलिए हो रही है क्योंकि पंकज चौधरी का राजनीतिक प्रभाव गोरखपुर तक माना जाता है वह योगी आदित्यनाथ से राजनीति में भी वरिष्ठ है।

कुर्मी जाति का राजनीतिक  वर्चस्व कितना है

बीजेपी की निगाहें 2027 के विधानसभा चुनाव पर टिकी हुई है । साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी में वह कामयाबी हासिल नहीं हुई , जिसकी उम्मीद वह कर रही थी । वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि इस बार भाजपा को कुर्मी समुदाय का वोट पहले की अपेक्षा कम मिला । प्रदेश में सभी दलों से जीतने वाले सांसदों में 11 कुर्मी समुदाय से आते हैं इस समुदाय की आबादी का गैर आधिकारिक आंकड़ा करीब सात फीसदी है ।राज्य में यादव के बाद दूसरी प्रभावशाली ओबीसी जानी मानी जाती है।

यूपी में लोकसभा की ऐसी सीटे हैं इसमें समाजवादी पार्टी को सबसे ज्यादा 37 भाजपा को 33 और उनके सहयोगी अपना दल को एक रालोद को दो और आजाद समाज पार्टी को एक सीट मिली कांग्रेस के 6 सांसद है।

हालांकि जानकार ऐसा मानते हैं कि कुर्मी जाति बहुत ही रणनीतिक तरीके से वोट करती है पहले यह कैसरगंज से बेनी प्रसाद वर्मा फैजाबाद से विनय कटिहार और बस्ती से राम प्रसाद चौधरी को वोट देती रही है। उनका कहना है कि पूर्वांचल की बात करें तो पंकज चौधरी बीजेपी के सांसद हैं तो बस्ती से समाजवादी पार्टी के रामप्रसाद चौधरी सांसद है इसी तरह विधानसभा में भी इस जाति के विधायकों की संख्या 40 से ज्यादा है उदाहरण के तौर पर कांग्रेस के दो विधायकों में से एक कुर्मी जाति से है।

गौरतलब है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में 52 ब्राह्मण विधायक बने उसके बाद 49 ठाकुर विधायक बने तीसरे नंबर पर कुर्मी जिनके 41 विधायक है जबकि चौथे नंबर पर मुस्लिम 34 विधायक है।

कुर्मी जाति के विधायकों में से भाजपा गठबंधन के 27 है जिनमें से अपना दल भी शामिल है समाजवादी पार्टी की बात करें तो 13 और एक कुर्मी विधायक कांग्रेस पार्टी से जीत कर सदन पहुंचे हैं वही यादव विधायकों की संख्या सदन में कुल 27 है।

जानते हैं कि वह कौन सी चुनौतियां है जिसका सामना पंकज चौधरी को करना पड़ सकता है

UP BJP State President पिछड़े वर्गों में अपनी पकड़ मजबूत करने की सियासी रणनीति के तौर पर काम कर रही है लेकिन पंकज चौधरी को आगे बढ़ाना इसी सामाजिक समीकरण का हिस्सा माना जा रहा है । यही चुनौती भी है कि कैसे उनका साधा जाए अध्यक्ष के सामने मुख्यमंत्री के साथ सामंजस्य बैठाना भी शामिल है।

जानकार ऐसा मानते हैं कि पंकज चौधरी के सामने या तो स्वतंत्र देव सिंह की तरह योगी के साथ रहने का विकल्प है या फिर केशव प्रसाद मौर्य की तरह राजनीति करने का।

भाजपा की निगाहें पूरे कुर्मी वोट बैंक पर है इसलिए अनुप्रिया पटेल तो साथ में है ही लेकिन पूर्वांचल में कुर्मी आबादी कई मंडलों में है जैसे कि अयोध्या देवी पाटन मंडल लखीमपुर खीरी का इलाका और बस्ती मंडल में ठीक-ठाक वोटर है।

ऐसे में जानकार मानते हैं कि बीजेपी की इस रणनीति का नुकसान तो नहीं है लेकिन बहुत ज्यादा फायदा होने वाला नहीं है

आपको बता दे उत्तर प्रदेश में पंकज चौधरी कुर्मी जाति से आने वाले चौथे प्रदेश अध्यक्ष है इससे पहले स्वतंत्र देव सिंह ,विनय कटियार और ओमप्रकाश सिंह भी इस पद पर रह चुके हैं।

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Reported By Mamta Chaturvedi