IAS Varun Baranwal:डॉक्टर बनने का था सपना मल्टीनेशनल कंपनी में की नौकरी, फिर ऐसे साइकिल मैकेनिक से बने IAS

IAS Varun Baranwal

IAS Varun Baranwal: कहते हैं अगर जुनून हो तो आप कोई भी सपना पूरा कर सकते हैं। फाइनेंशियल समस्याएं किसी भी इंसान के इरादे को कमजोर नहीं कर सकती।

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IAS Varun Baranwal: समाज के हर क्षेत्र में यूपीएससी उम्मीदवार भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं और इंटरव्यू में से एक है यूपीएससी की परीक्षा जिसको पास करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पडती है।हर साल लाखों उम्मीदवार अपनी स्ट्रेटजी के साथ परीक्षा में शामिल होते हैं। कुछ लोग इनमें से चयन हो जाते हैं और कुछ नहीं हो पाते है।

आईएएस अधिकारी बनने के लिए सिर्फ धैर्य फोकस और एक सुनियोजित संयोजन करना पड़ता है जो यूपीएससी की परीक्षा को पास करने में मदद करता है।आज हम एक ऐसे इंसान के बारे में बात करने जा रहे है जिसका नाम है वरुण बरनवाल। जिन्होंने पिता के निधन के बाद कम उम्र में ही स्कूल जाना बंद करने का फैसला किया था उनके जीवन की यात्रा लोगों के लिए प्रेरणा हो सकती है।

जानकारी के मुताबिक आईएएस ऑफिसर वरुण बनरवाल हमेशा से डॉक्टर बनने का सपना देखते थे। वह महाराष्ट्र के पालघर जिले के छोटे से गांव बोईसर के रहने वाले हैं। वरुण के पिता एक छोटी सी साइकिल मरम्मत की दुकान चलाते थे और एक साइकिल मैकेनिक थे उनके पिता हमेशा से चाहते थे कि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले ।इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की।

वरुण बरनवाल का परिवार केवल उनके पिता की साइकिल मरम्मत की दुकान से होने वाली कमाई पर निर्भर था। जानकारी के मुताबिक पिता के निधन के बाद वरुण ने भी दुकान संभाले और अपने परिवार का देखभाल करने का फैसला किया हालांकि वरुण वरूनवाल ने सब कुछ होने के बावजूद कक्षा दसवीं की परीक्षा में अच्छा परफॉर्म किया ।वरुण की मां ने दुकान संभाला और उन्हें स्कूल छोड़ने के लिए बोला ।पैसों के अभाव में वी कक्षा 11वीं में दाखिला नहीं ले सके।

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दरअसल उनके पिता की मेडिकल देखभाल करने वाले डॉक्टर ने वरुण की पढ़ाई का खर्चा उठाने का फैसला किया और तुरंत 10,000 की पेशकश की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वरुण ने अपनी रुचि जारी रखने का का फैसला लिया। इस प्रकार वह मेडिकल स्कूल में शामिल हुए। उन्होंने इंजीनियरिंग पर ध्यान केंद्रित करना चुना क्योंकि मेडिकल की पढ़ाई काफी महंगी होती है। वरुण को एमआईटी कॉलेज पुणे में दाखिला मिला इसके बाद उन्होंने कॉलेज से स्कॉलरशिप हासिल की और इंजीनियरिंग करियर के पहले साल में कड़ी मेहनत की।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई स्कॉलरशिप की वजह से पूरा हो गया। इंजीनियरिंग की डिग्री मिलने के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी की वरुण के परिवार ने उनसे मल्टीनेशनल कंपनी के लिए काम जारी रखने का आग्रह किया लेकिन उन्होंने सरकार के लिए काम का विकल्प चुना।

इसके अलावा वरुण को गैर सरकारी संगठनों से भी मदद मिली जिन्होंने उन्हें परीक्षा की तैयारी में मदद करने के लिए स्टडी मटेरियल दिया सभी की मदद की बदौलत वह परीक्षा पास करने में सफल रहे और आईएएस अफसर बन गए।

वरुण बरनवाल ने यूपीएससी 2016 की परीक्षा और 32 में रैंक हासिल की थी। उनका चयन आईएएस ऑफिसर के लिए हुआ उन्होंने फाइनेंशियल कमी को अपनी ताकत बनकर इस मुकाम को हासिल करने में कामयाबी मिली ।

इससे ये साबित होता है अगर इंसान में लगन हो मेहनत हो जज्बा हो तो वो अपनो सपनो को पूरा कर सकता है।

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