Uttarakhand UCC Bill: ओवैसी ने उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता पर उठाए सवाल

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Uttarakhand UCC Bill: उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पेश कर दिया।

Uttarakhand UCC Bill

Uttarakhand UCC Bill: तमाम मुस्लिम संगठनों ने इस विधायक का जमकर विरोध जताया। अब एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी उत्तराखंड सरकार द्वारा पेश किए गए यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक पर सवाल खड़े किए हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि उत्तराखंड सरकार उच्च बिल सभी के लिए लागू एक हिंदू कोड के अलावा और कुछ नहीं है।

इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी नहीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक पर कहा कि हिंदू अभी बातचीत परिवार को छुआ नहीं गया है क्यों यदि आप उत्तराधिकार और विरासत के लिए एक समान कानून चाहते हैं तो हिंदुओं को इससे बाहर क्यों रखा गया क्या कोई कानून एक समान हो सकता है यदि वह आपके राज्य के अधिकांश हिस्सों पर लागू नहीं होता है।

असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी कहा की बहु विवाह, हलाला लिविंग रिलेशनशिप पर चर्चा का विषय बन गए हैं लेकिन कोई यह नहीं पूछ रहा है कि हिंदू अविभाजित परिवार को बाहर क्यों रखा गया कोई नहीं पूछ रहा है कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुताबिक बाहर से उनके राज्य को 1000 करोड़ का नुकसान हुआ 17000 हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई और फसल के नुकसान का अनुमान तकरीबन 2 करोड़ से अधिक कथा उत्तराखंड के वित्तीय हालत खराब है इसलिए धामी को इसे सामने रखना चाहिए था।

असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी कहा है कि यूसीसी में अन्य संवैधानिक और कानूनी मुद्दे भी है आदिवासियों को बाहर क्यों रखा गया है यदि एक समुदाय को छूट दे दी जाए तो क्या यह एक समान हो सकता है। अगला सवाल मौलिक अधिकारों का है मुझे अपने धर्म और संस्कृति का पालन करने का अधिकार है यह विधेयक मुझे अलग धर्म संस्कृति का पालन करने के लिए मजबूर करता है हमारे धर्म में विरासत विवाह धार्मिक प्रथा का हिस्सा है हमें एक अलग प्रणाली का पालन करने के लिए मजबूर करना अनुच्छेद 25 और 29 का उल्लंघन है।

यही नहीं असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी कहा है कि यूसीसी को लेकर संवैधानिक मुद्दा भी है मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उच्च केवल संसद द्वारा अधिनियमित किया जा सकता है यह विधेयक सरिया अधिनियम हिंदू विवाह अधिनियम आईएसए जैसे कानून का खंडन करता है।

राष्ट्रपति की सहमति के बिना कानून कैसे काम करेगा । ओवैसी ने यह भी कहा है कि SMA , ISA , JJA DVA आदि के रूप में एक शैक्षिक उच्च पहले से ही मौजूद है अब अंबेडकर ने इसे अनिवार्य नहीं कहा तो इसे अनिवार्य क्यों मनाया जा रहा है।

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