12 सांसदों के निलंबन पर सख्त विपक्ष, साझा बयान जारी कर फैसले को बताया अलोकतांत्रिक-कल बुलाई बैठक

मानसून सत्र में हंगामा करने के मामले में राज्यसभा से कांग्रेस, शिवसेना और टीएमसी समेत पांच पार्टियों के 12 सांसदों को शीतकालीन सत्र से सोमवार को निलंबित कर दिया गया. निलंबन के बाद कई सांसदों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है. विपक्षी पार्टियों ने कल इस फैसले को लेकर एक बैठक बुलाई है, जिसमें आगे क्या कदम उठाना है उसको लेकर चर्चा  की जाएगी. शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी उन 12 सांसदों में शामिल हैं, जिन्हें निलंबित किया गया है. उनका कहना है कि निलंबन का फैसला लेकर विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश की गई है.

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “कोई आरोपी है तो जिला जज से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उनकी सुनवाई होती है. उनके लिए वकील भी मुहैया कराए जाते हैं. कभी कभी तो आरोपी का पक्ष जानने के लिए सरकारी अधिकारी भेजे जाते हैं. यहां हमारे पक्ष को सुना ही नहीं गया.” उन्होने कहा कि अगर आप सीसीटीवी फुटेज देखेंगे तो पता चलेगा की कैसे पुरुष मार्शल महिला सांसदों के साथ धक्का-मुक्की कर रहे थे. ये सब एक तरफ और आपका फैसला एक तरफ? ये किस तरह का असंसदीय व्यवहार है?

निलंबन के बाद विपक्षी पार्टियों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है. इस बयान में विपक्ष ने 12 सांसदों के निलंबन के फैसले की निंदा की है और इसे अलोकतांत्रिक निलंबन करार दिया है. विपक्षी पार्टियों ने 12 सांसदों के निलंबन के फैसले पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के दफ्तर में मंगलवार को बैठक बुलाई है. इस बैठक में निलंबन के फैसले पर आगे क्या कदम उठाना है उसको लेकर चर्चा की जाएगी.

निलंबन के बाद कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने कहा, “हां हमने विरोध प्रदर्शन किया था. हमने किसानों, गरीबों के लिए प्रदर्शन किया था और एक सांसद होने के नाते ये हमारा कर्तव्य है कि हम उत्पीड़ित और वंचित लोगों की आवाज़ उठाएं. अगर हम संसद में आवाज़ नहीं उठाएंगे तो कहां उठाएंगे?