हरदोई, यूपी। हरदोई में आशा बहुओं और मनकविहीन अस्पताल के बीच साठगांठ का मामला कई बार उजागर हो चुका है। लेकिन प्रशासनिक अमला जने किस मजबूरी या स्वार्थ में इन पर कार्रवाई करने से बचता रहा। गांव के नासमझ लोगों को सरकारी अस्पताल की जगह इन प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर आशा बहु धन उगाही कराती हैं और अपना हिस्सा पाती हैं। फिर चाहे किसी की जान जाए या अपनी किस्मत से बच जाए। इनको सिर्फ अपने रुपयों से मतलब रहता है।
रविवार की देर रात भी एक ऐसा किस्सा सामने आया। थाना सुरसा के भकुराई निवासी छोटू की पत्नी रीता ने 5 रोज़ पहले बच्चे को जन्म दिया था। जब दोबारा ब्लीडिंग शुरू हुई तो आशा बहु से संपर्क किया। आरोप है आशा बहु स्नेह लता को जिला चिकित्सालय ले जाने के बजाय पीड़ित को अपने सांठगांठ वाले बिलग्राम चुंगी स्थित मयूर अस्पताल ले आये। जहां डॉक्टर के नाम तो लिखे हैं लेकिन अनट्रेंड लोगों ने रीता का इलाज किया, जिससे उसकी मौत हो गयी। जिसके बाद परिजनों ने जम कर हंगामा काटा। अस्पताल के स्टाफ ने शव को आशा द्वारा लाई गई एम्बुलेंस में शव को रख कर अस्पताल के बाहर कर दिया और फरार हो गए। पत्थरबाजी और हंगामे के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपी आशा बहु को हिरासत में ले लिया।
फिलहाल देर रात तक परिजन अस्पाल को सीज करने की ज़िद पर अड़े रहे। हालांकि घण्टो चले इस हंगामे के बीच स्वास्थ्य महकमे के कोई भी ज़िम्मेदार मौके पर नहीं पहुंचा।उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक प्रदेशवासियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिये अस्पताल अस्पताल जा कर निरीक्षण कर रहे है, लेकिन लखनऊ से बिलकुल सटे होने के बावजूद हरदोई के स्वास्थ्य विभाग निज़ाम है कि बदलने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में हरदोई में आम व्यक्ति को कब बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी ये एक बड़ा सवाल ज़रूर है।
रिपोर्ट- आशीष सिंह