नई दिल्ली। 2022-23 के बजट सत्र की शुरुआत 31 जनवरी से होने जा रही है। ठीक इसी समय पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिये प्रचार भी जोरों पर चल रहा है। चुनावी घमासान के बीच आने जा रहे बजट से कई वर्गों को बहुत उम्मीदें हैं। विशेषकर देश का मध्यम नौकरी पेशा वर्ग और किसानों को बजट में पिछले कई सालों से हासिये पर रखा गया है। विशेषकर कोरोना के कारण लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। उनके उपर टैक्स का बोझ घटाया नही गया है। बढ़ती महंगाई के कारण किसानों की लागत बढ़ गई है और फसलों की कीमत घट गई है।
31 जनवरी को बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से होगी। राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रुप से संबोधित करेंगे। 31 जनवरी को हीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण खत्म होते हीं सरकार की तरफ से संसद के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जायेगा। कोरोना जैसी बड़ी त्रासदी के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था में सुधार की किरण दिखाई दी थी। आर्थिक सर्वेक्षण में देश की आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिये सरकार का लेखा जोखा पेश किया जायेगा।
बजट सत्र का सबसे अहम दिन 1 फरवरी को होगा जब केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सुबह 11 बजे अपना बजट अभीभाषण शुरु करेंगी। इस बजट से देश का मध्यम नौकरी पेशा वर्ग बहुत उम्मीदें लगाये बैठा है। अगर सरकार इस बजट में इनको कुछ राहत प्रदान करती है तो देश की अर्थव्यवस्था के लिये बड़ा कदम साबित होगा। वेतनभोगी नौकरी पेशा वर्ग टैक्स में छूट की उम्मीदें लगाये बैठा है। दूसरी तरफ कोरोना महामारी की मार झेल रहा व्यापारी वर्ग को भी फिर से अपने व्यापार को खड़ा करने के लिये सरकार से काफी उम्मीदें लगी हैं। वहीं दूसरी तरफ महंगाई की मार झेल रहा किसान वर्ग को भी इस बजट से बड़ी उम्मीदें लगी हैं।
रिपोर्ट–धर्मेन्द्र कुमार सिंह