Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी के दक्षिणी हिस्से में बने व्यास जी के तहखाना में पूजा की इजाजत देने वाले रिटायर्ड जज एके विश्वास को लखनऊ यूनिवर्सिटी का लोकपाल नियुक्त किया गया है।
Gyanvapi Case
Gyanvapi Case: जिला जज ने अपने आखिरी कार्य दिवस के दिन ज्ञानवापी मामले में सुनाई करते हुए व्यास जी तहखाना में पूजा की अनुमति दी थी जिसके बाद वहां लगभग 2 दशकों के बाद पूजा अर्चना की शुरुआत हो पाई। अब रिटायर्ड जज एक ही विश्वेश को डॉक्टर शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में 3 साल के लिए लोकपाल बनाया गया है।
जानकारी के मुताबिक रिटायर्ड जज के विश्वास की नियुक्ति यूजीसी के नियमों के तहत की गई है। नियम है कि यूनिवर्सिटीज और उससे संबंधित कॉलेज संस्थाओं को स्टूडेंट की शिकायतों के निपटारे के लिए एक लोकपाल नियुक्त करना आवश्यक होगा। यह लोकपाल एक रिटायर्ड कुलपति रिटायर्ड प्रोफेसर या फिर रिटायर्ड जिला न्यायाधीश हो सकता है।
गौरतलब है कि 31 जनवरी को वाराणसी जिला जज की कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाना में पूजा करने का अधिकार दिया था। इस पर हिंदू पक्ष ने जहां खुशी जताई थी तो वहीं मुस्लिम पक्ष काफी नाराज दिखाई दिया था। यह तहखाना ज्ञानवापी के दक्षिणी दिशा में मौजूद है 1993 तक सोमनाथ व्यास का परिवार यहां पूजा अर्चना करता था फिर लोहे की बेरीकेटिंग लगा दी गई जिससे वहां पूजा पाठ बंद हो गया था।
नवंबर 1993 में पुजारी और भक्तों को मौखिक आदेश देकर वहां पूजा पाठ करने से रोका गया पिछले साल तहखाना में दोबारा पूजा पाठ करने के लिए व्यास जी के नाती नहीं कोर्ट में गुहार लगाई थी। यह याचिका दाखिल कर पूजा पाठ की अनुमति मांगी गई थी सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश हुए अंजुमन इंतजामिया के वकील ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा था कि कोर्ट ने सिर्फ रिसीवर नियुक्त करने का जिक्र किया था उसमें पूजा का अधिकार का कोई जिक्र नहीं है।
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