Karwa Chauth: करवा चौथ का पूजा कल पूजन के लिए मिलेगा यह मुहूर्त

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Karwa Chauth: करवा चौथ का व्रत सौभाग्यवती महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के बारे में भगवान कृष्ण द्रौपदी को बताया था और भगवान शिव ने माता पार्वती को करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। करवा चौथ पर भगवान गणेश माता गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है इस बार करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर यानी कि कल रखा जाएगा।

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आपको बता दे की करवा चौथ का व्रत करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में सुख शांति की कामना के लिए करती हूं और पति की लंबी आयु की प्रार्थना भी करती हैं।

करवा चौथ की पूजन विधि

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्थान करें और घर की सफाई करें फिर सास द्वारा दिया गया भोजन करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प ले या सूर्य अस्त होने के बाद चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही खोला जाता है और बीच में जल नहीं पिया जाता यानी कि यह व्रत निर्जल होता है।

संध्या के समय एक मिट्टी की विधि पर सभी देवताओं की स्थापना करें इसमें 10 से 13 करवे करवा चौथ के लिए खास मिट्टी के कलश रखें पूजन सामग्री में दीप धूप चंदन रोली सिंदूर थाली में रखें ।दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहना चाहिए जिससे वह पूरे समय तक चला रहे ।

इसके अलावा चंद्रमा निकलने से लगभग 1 घंटे पहले पूजा शुरू की जानी चाहिए। अच्छा हो कि परिवार के सभी महिलाएं एक साथ पूजा करें पूजा के दौरान करवा चौथ कथा सोने और सुनाएं चंद्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाना चाहिए और साथ ही दर्शन के समय अरब के साथ चंद्रमा की पूजा की जाती है चंद्र दर्शन के बाद बहू थाली में मिष्ठान फल मेवा रुपया आदि रखें और अपनी सास को देकर उनका आशीर्वाद लें और सांस उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देती है।

करवा चौथ की पूजा के बाद करवा विवाहित महिलाओं को ही बांट देना चाहिए निराहार रहकर दिनभर भगवान गणेश के मंत्र का जाप करना चाहिए रात में चंद्र देव के उदय होने के बाद परंपरा के मुताबिक उनका विधि पूर्वक अर्थ दिया जाता है इसके साथ ही गणेश जी और चतुर्थी माता को भी आर्ग देना चाहिए आपको बता दें की व्रत करने वाले नमक युक्त भोजन से दूर रहे व्रत कम से कम 12 या 16 साल तक काटा चाहिए इसके बाद उद्यापन कर सकते है ।

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