नई दिल्ली। दिल्ली स्थित जवाहर भवन में ‘द दलित ट्रूथ’ नाम की एक किताब के लॉंचिंग के लिए पहुंचे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बताया कि उन्होंने कैसे दलित समाज के बारे में सोचना शुरू किया और ये भी बताया कि कैसे वह सत्ता के बीच में पैदा होने के बाद भी राजनीति में दिलचस्पी नहीं रखते। इसके साथ ही उन्होंने मायावती, भाजपा और आरएसएस पर भी जमकर हमला बोला।
राहुल गांधी ने कहा कि मायावती इस बार चुनाव नहीं लड़ीं, भाजपा को खुला मैदान दे दिया। हमने उनसे गठबंधन करने को लेकर बात भी की और कहा कि मुख्यमंत्री बनिए लेकिन उन्होंने बात तक नहीं की। कांशीराम जी थे जिन्होंने दलितों की आवाज उठाई। मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं, भले ही उन्होंने कांग्रेस को उस वक्त नुकसान पहुंचाया लेकिन उन्होंने दलितों की आवाज उठाई। आज उन्हीं के खून पसीने से बनाई पार्टी की मायावती कहती हैं कि मैं चुनाव ही नहीं लड़ूंगी क्यों…क्योंकि इस बार उनके पीछे ईडी, सीबीआई और पेगासस सब थे।
राहुल गांधी ने ये भी कहा कि, कमजोर हो रही देश की संवैधानिक संस्थाओं को मजबूत करने की भी बात कही। वह बोले कि अगर हमारे संस्थान कमजोर हुए तो देश भी कमजोर हो जाएगा। यहां उन्होंने एक बार फिर आरएसएस और भाजपा पर हमला बोला। राहुल ने कहा कि हमें संविधान की रक्षा करनी है। संविधान को बचाने के लिए हमें अपनी संस्थाओं की रक्षा करनी होगी।लेकिन सारी संस्थाएं आरएसएस के हाथों में हैं।
राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान दिल की बात खोलकर रख दी। राहुल गांधी ने बातों-ही-बातों में बहुत कुछ कह दिया। राहुल ने कहा कि आज देश में ऐसे राजनेता हैं जो सत्ता की खोज में रहते हैं। सुबह उठते हैं और कहते हैं भैया सत्ता कैसे मिलेगी। रात होती है सो जाते हैं फिर सुबह उठते ही सोचने लगते हैं कि भैया सत्ता कैसे मिलेगी। ऐसे लोग हिंदुस्तान में आज भरे हुए हैं। अब उसमें मेरी एक प्रॉब्लेम आ गई। अजीब सी बात है मैं सत्ता के बीच में पैदा हुआ, बिल्कुल बीच में। लेकिन बड़ी अजीब सी बीमारी है, ईमानदारी से कहता हूं- मुझे इसमें कोई दिलचस्पी हीं नहीं है। मैं रात को सोता हूं, अपने देश को समझने की कोशिश करता हूं। मैं सुबह जगता हूं तो अपने प्यारे देश को समझने की कोशिश करता हूं। जैसे एक प्रेमी होता है, वो अपने प्रेम को समझने की कोशिश करता है।
रिपोर्ट- धर्मेन्द्र कुमार सिंह