BJP Mission 75 Plus: यूपी में बीजेपी का मिशन 75 प्लस, क्या इस दांव से मिलेगा दिल्ली का ताज

bjp mission 75

BJP Mission 75 Plus: उत्तर प्रदेश में जिनकी जीत होगी वही दिल्ली की गद्दी पर राज करेगी। भाजपा के लिए गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश से सबसे मजबूत गढ़ है। जबकि विपक्ष के लिए यह राज्य सबसे कमजोर।

BJP Mission 75 Plus

BJP Mission 75 Plus: बीजेपी के विजय अभियान को रोकने के लिए विपक्षी हर तरह का प्रयोग फेल रहा है। पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी और बीएसपी का गठबंधन भी बीजेपी के सामने टिक नहीं पाया । इस बार इंडिया गठबंधन के बनने के बाद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी मिलकर चुनाव लड़ना चाहती है। दोनों पार्टी अभी तो एक दूसरे के खिलाफ लड़की दिखाई दे रही है। समाजवादी पार्टी पीडीए मतलब पिछड़े दलित मुस्लिम वोट के दम पर ताल ठोक रही है। तो कांग्रेस भी जातीयगत जनगणना के बहाने इसी सामाजिक समीकरण के भरोसे है।

बीएसपी अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। भाजपा की सबसे बड़ी ताकत उसकी सोशल इंजीनियरिंग है। गैर यादव पिछड़े गैर जाटों दलित और फॉरवर्ड कास्ट के बूते भाजपा हर तरफ चुनाव जीतती रही है। भाजपा के हिंदुत्व और जाति समीकरण के आगे विपक्ष की एक नहीं चल पा रही। भाजपा ने संगठन के लिहाज से बने 98 जिलों के प्रभारी के नाम की घोषणा कर दी। इसके साथ ही सभी छह क्षेत्रों के लिए प्रभारी भी नियुक्त किए गए हैं। इसी हफ्ते सभी लोकसभा विधानसभा सीटों के लिए प्रभारी भी तय किया जा सकते हैं। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व पहले ही सभी 80 लोकसभा क्षेत्र में विस्तारक भेज चुका है पिछले आम चुनाव में भाजपा को 62 और उसकी सहयोगी दल अपना दल को दो सीटे मिली थी जबकि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार 75 प्लस का लक्ष्य रखा है।

भले ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच अभी टकराव की स्थिति हो लेकिन दोनों ही पार्टियों का एजेंडा एक है राहुल गांधी अखिलेश यादव जाति का जनगणना पर बैटिंग कर रहे हैं। भाजपा इस मुद्दे पर खामोश है लेकिन पार्टी का पूरा फोकस जमीन पर अपने सोशल इंजीनियरिंग को बचाए रखने की है। इसलिए जिला प्रभारी के नाम भी उनसे जाति देखकर तय की गई है जिस जिले में जिस जाति की जरूरत समझी गई उसे बिरादरी के नेता को जिम्मेदारी दी गई। कुछ जगहों पर संगठन में बेहतर काम करने वालों को यह काम दिया गया है आगरा के दलितों का गढ़ माना जाता है इस समाज में जाटों और बाल्मीकि वोटरों का यहां दबदबा है इस बात का भी ख्याल रखते हुए पार्टी ने अमित वाल्मीकि को जिले का प्रभारी बनाया है।

कौशलेंद्र पटेल वाराणसी के मेयर रह चुके हैं वह फूलपुर से लोकसभा का उपचुनाव भी लड़ चुके हैं केशव प्रसाद मौर्य के डिप्टी सीएम बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी। पार्टी ने प्रतापगढ़ का जिला प्रभारी बनाया है जहां पटेल वाटर लड़ाई भूमिका में है भाजपा ने ऐसी 2014 में अपना दल को दी थी। भाजपा ने मानवेंद्र लोधी को अलीगढ़ का प्रभारी बनाया है यहां लोधी जाति के वोटरों का दबदबा है स्थानीय स्तर पर जातिगत समीकरण को फुल प्रूफ बनाने के लिए बीजेपी ने प्रभारी का चयन किया है भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व किसी भी सूरत में सोशल इंजीनियरिंग पर मजबूत पकड़ को देर नहीं देना चाहता।

इसे भी पढे़:-Chanakya Niti: चाणक्य की 10 बातें सफलता के लिए कर लीजिए याद