Call For Justice: जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में गैर मुसलमान का उत्पीड़न और कन्वर्जन का आरोप

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Call For Justice:जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में गैर मुसलमान छात्र और शिक्षकों के उत्पीड़न और कथित कन्वर्जन के मुद्दे पर कॉल फॉर जस्टिस द्वारा गठित समिति ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है।

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इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि पिछले दो दशकों में कई हिंदू और खास तौर पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र और संकाय सदस्य विश्वविद्यालय में भेदभाव उत्पीड़न और जबरन धर्मांतरण का सामना कर रहे हैं।

आपको बता दे कि कॉल फॉर जस्टिस नाम की इस समिति में पूर्व दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एस.एन ढ़ीगरा, दिल्ली के पूर्व कमिश्नर एस.एन श्रीवास्तव समेत अन्य सदस्यों ने जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में गैर मुसलमान के साथ हुए उत्पीड़न और भेदभाव के मामले की जांच रिपोर्ट गृह मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय और उपराज्यपाल को भेजने का निर्णय लिया है।

इस रिपोर्ट को सार्वजनिक इस समिति के अध्यक्ष पूर्व जस्टिस एसएन ढीगरा ने बताया कि कॉल फॉर जस्टिस की तरफ जामिया विश्वविद्यालय में गैर मुस्लिम छात्रों, शिक्षकों और कर्मियों के शोषण और उन पर तरह तरह के दबाव बनाने की शिकायतों को लेकर एक 6 सदस्यीय समिति बनाई गई।

इस समिति ने 27 गैर मुस्लिम छात्रों प्रोफेसरों ,कर्मियों की शिकायत दर्ज की है।समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जामिया विश्वविद्यालय में गैर मुस्लिम छात्र, छात्राओं प्रोफेसरों ,कर्मियों पर धर्म बदलने यानि इस्लाम स्वीकार करने का अप्रत्यक्ष तौर पर दबाव बनाया जाता है। हिंदू शिक्षकों के प्रमोशन रोके जाते हैं। हिंदू छात्र ,छात्रों को हिंदू त्यौहार मनाने पर प्रताड़ित किया जाता है।

यह सिलसिला यही नहीं थमा.. यहां तक कि जो मुस्लिम छात्र इन त्यौहारों को देख रहे होते है उन्हें भी परेशान किया जाता है। लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए कई मुस्लिम अतिवादी संघटन मदद कर रहे है। जामिया परिसर के अंदर के अलावा परिसर के बाहर आसपास से कई कट्टरवादी मुस्लिम संगठन लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है।

फैक्ट फाइंडिंग समिति गृह मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट दे रही हैं। कॉल फॉर जस्टिस ने गैर मुस्लिम छात्रों की शिकायत पर ये समिति बनाई थीं।इस समिति की तरह से ये कहा गया इस मामले को केन्द्र सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए हांलाकि देखना महत्वपूर्ण होगा कि फैक्ट फाइंडिग कमेटी के रिपोर्ट के बाद केन्द्र सरकार क्या कोई एक्शन लिया जायेगा ।

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