Kanjeevaram and Kanchipuram sarees: महिलाएं कांजीवरम और कांचीपुरम साड़ी को लेकर कंफ्यूज हो जाती हैं. अगर आपको भी ऐसा कंफ्यूजन है तो आप इस आर्टिकल की मदद से अपनी इस शंका दूर कर सकती हैं.
Kanjeevaram and Kanchipuram sarees
हर भारतीय महिला की वार्डरॉब साड़ी के बिना अधूरी है. साड़ी एक पारंपरिक ड्रेस है और इसे कई तरह से पहना जा सकता है. साड़ी को ऑफिस में पहना जा सकता है या फिर खास मौकों पर भी पहना जा सकता है. साड़ी एक ऐसी ट्रेडिशनल ड्रेस है, जिसमें आप स्टाइलिश दिखने के साथ गॉर्जियस और ग्लैमरस भी दिख सकती हैं. हालांकि, साड़ियां कई तरह की होती हैं, जैसे कि कांजीवरम, बनारसी, पैठणी, मूंगा सिल्क, रॉ सिल्क वगैरह. लेकिन आज हम कांजीवरम और कांचीपुरम साड़ी कौन सी होती है उसमें बताएंगे।
कांजीवरम और कांचीपुरम साड़ियां
कांजीवरम और कांचीपुरम एक ही साड़ी का नाम है. चूंकि, कांजीवरम साड़ी को तमिलनाडु के छोटे से शहर कांचीपुरम में ट्रेडिशनल सिल्क से तैयार किया जाता है, जिसकी वजह से इसका आधिकारिक नाम कांचीपुरम साड़ी है. हालांकि, देशभर में ये साड़ियां कांजीवरम के नाम से जानी जाती हैं. इन साड़ियों के मैटेरियल और ड्यूरेबिलिटी की वजह से ये वर्ल्ड फेमस हैं. इन साड़ियों को आज भी कारीगर हाथ से तैयार करते हैं, जिसकी वजह से कांजीवरम साड़ियों की क्वालिटी टॉप क्लास की होती है. यही वजह है कि ये साड़ियां महंगी बिकती हैं.
तमिलनाडु का एक छोटा सा शहर कांचीपुरम
तमिलनाडु का एक छोटा सा शहर कांचीपुरम अपनी शानदार सिल्क साड़ियों के लिए जाना जाता है जो पारंपरिक रूप से शुद्ध सिल्क से बुनी जाती हैं. इन साड़ियों में बहुत ही बारीक काम किया जाता है. साथ ही, तैयार होने के बाद कांजीवरम या कांचीपुरम साड़ियां बहुत हैवी लुक देती हैं. कांचीपुरम शहर कांजीवरम सिल्क साड़ियों को बनाने के लिए काफी मशहूर है. इन साड़ियों में हाई क्वालिटी का सिल्क इस्तेमाल किया जाता है. अगर आप किसी कारण से तमिलनाडु जा रही हैं तो एक बार कांचीपुरम जरूर जाएं. यहां से अपने लिए शानदार कांजीवरम साड़ी खरीद सकती हैं.
कांजीवरम सिल्क साड़ियां क्यों होती हैं खास?
कांजीवरम सिल्क साड़ी को हाई क्वालिटी के मलबेरी सिल्क से तैयार किया जाता है. इस साड़ी में गोल्ड या सिल्वर से जरी वर्क किया जाता है. साथ ही, ये साड़ियां अपने वाइब्रेंट कलर्स, हैंडमेड वर्क और ड्यूरेबिलिटी के लिए जानी जाती हैं. इन्हें देश-विदेश में महिलाएं तीज-त्योहार या फिर शादी-ब्याह जैसे मौके पर स्टाइल करती हैं. कांजीपुरम साड़ियों को केंद्र सरकार ने GI टैग भी दिया हुआ है, जिसकी मदद से आप इन्हें किसी भी दुकान पर खरीदते हुए ये जान सकते हैं कि ये कितनी ऑथेंटिक हैं. कांजीपुरम साड़ियों को साल 2005-2006 में भारत सरकार द्वारा जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI टैग) के रूप में मान्यता दी गई है.
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