Karpoori Thakur: केंद्र सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया है ।
Karpoori Thakur
Karpoori Thakur: इस मामले में राष्ट्रपति भवन की ओर से बयान जारी कर यह जानकारी दी गई।
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुशी जाहिर की है।
आपको बता दें कि कर्पूरी ठाकुर की बुधवार को होने वाली 100वीं जन्म जयंती से पहले उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया गया है। जनता दल यूनाइटेड ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग् की थी। इस ऐलान के बाद जनता दल यूनाइटेड ने मोदी सरकार का आभार जताया है।
पूर्व मुख्यमंत्री और महान समाजवादी नेता स्व. कर्पूरी ठाकुर को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिए जाने की घोषणा पर मुख्यमंत्री ने हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त की है..
पटना 23 जनवरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महान समाजवादी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कर्पूरी ठाकुर जी को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के केंद्र सरकार के निर्णय पर हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त की है और इसे सही निर्णय बताया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी 100वीं जयंती पर दिया जाने वाला ये सर्वोच्च सम्मान दलितों, वंचितों और उपेक्षित तबकों के बीच सकारात्मक भाव पैदा करेगा. उन्होंने कहा कि वो हमेशा से स्व. कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देने की मांग करते रहे हैं. आज कर्पूरी ठाकुर जी को दिए जाने वाले इस सम्मान से उन्हें खुशी मिली है और जेडीयू की वर्षो पुरानी मांग पूरी हुई है।
कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर ने कहा कि हमें 36 साल की तपस्या का फल मिला है मैं अपने परिवार और बिहार के 15 करोड लोगों की तरफ से केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं
आईए जानते हैं कौन थे कर्पूरी ठाकुर
कर्पूरी ठाकुर का जन्म बिहार के समस्तीपुर जिले के पिताजीया गांव में हुआ था पटना से 1940 में उन्होंने मैट्रिक परीक्षा पास की और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े कर्पूरी ठाकुर ने आचार्य नरेंद्र देव के साथ चलना पसंद किया इसके बाद उन्होंने समाजवाद का रास्ता चुना और 1942 में गांधी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया इसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा था
साल 1945 में जेल से बाहर आने के बाद कर्पूरी ठाकुर धीरे-धीरे समाजवादी आंदोलन का चेहरा बन गए जिसका मकसद अंग्रेजों से आजादी के साथ-साथ समाज के भीतर पान पर जाती और सामाजिक भेदभाव को दूर करने का था ताकि दलित समाज पिछड़े वर्ग और वंचित को भी एक सम्मान की जिंदगी जीने का अधिकार मिल सके
कर्पूरी ठाकुर 1952 में ताजपुर विधानसभा क्षेत्र से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जीत कर विधायक बने थे। 1967 के बिहार विधानसभा चुनाव में कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी बड़ी ताकत बनकर उभरी थी जिसका नतीजा था कि बिहार में पहली बार गैर कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी।
महामाया प्रसाद सिंह मुख्यमंत्री बने तो कर्पूरी ठाकुर उपमुख्यमंत्री बने और उन्हें शिक्षा मंत्रालय का जिम्मा सोपा गया। कर्पूरी ठाकुर ने शिक्षा मंत्री रहते हुए छात्रों की फीस खत्म कर दी थी और अंग्रेजी की अनिवार्यता भी समाप्त करती थी ।
कुछ समय बाद बिहार की राजनीति ने ऐसी करवट ली की कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बन गए इस दौरान वह 6 महीने तक सत्ता में रहे। उन्होंने उन खेतों पर माल गुजरी खत्म कर दी जिससे किसानों को कोई मुनाफा नहीं होता था। साथ ही 5 एकड़ से कमजोर पर मालगुजारी खत्म कर दी गई और साथ ही उर्दू को राज्य की भाषा का दर्जा दे दिया गया इसके बाद उनकी सियासत की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ और कर्पूरी ठाकुर बिहार की राजनीति में समाजवाद का एक बड़ा चेहरा बन गए ।
उन्होंने मंडल आंदोलन से भी पहले मुख्यमंत्री रहते हुए पिक्चरों को 27 फीस दी आरक्षण दिया था लोकनायक जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया उनके राजनीतिक गुरु थे।
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