अहमदाबाद, गुजरात। गांधीनगर के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सुरक्षा से लेकर पड़ोसी देश तथा विश्व की ओर सबका ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि रक्षा के क्षेत्र में 21वीं सदी की जो चुनौतियां हैं, उनके अनुकूल हमारी व्यवस्था भी विकसित हो और उन व्यवस्थाओं को संभालने वाले व्यक्तित्व का विकास हो, इसके लिए इस विश्वविद्यालय का जन्म हुआ है। ये यूनिवर्सिटी देशभर में रक्षा के क्षेत्र में जो अपना करियर बनाना चाहते हैं उनके लिए इस यूनिवर्सिटी का जन्म हुआ है। इस क्षेत्र में वेल ट्रेंड मेन पावर समय की मांग है। रक्षा विश्वविद्यालय के माध्यम से हम उस प्रकार से लोगों को तैयार करना चाहते हैं, जो कम संसाधनों में भी चीजों को संभालने का सामर्थ्य रखें। हमें देश की रक्षा के लिए डेडिकेटेड वर्क फोर्स हर स्तर पर तैयार करनी होगा।
गांधीनगर आज शिक्षा की दृष्टि से एक बहुत बड़ा वाइब्रेंट एरिया बनता जा रहा है। एक ही इलाके में कई सारी यूनिवर्सिटी और दो यूनिवर्सिटी ऐसी हैं जो पूरे विश्व में पहली यूनिवर्सिटी है। पूरी दुनिया में कहीं पर भी चिल्ड्रेन यूनिवर्सिटी नहीं है। गांधीनगर और हिंदुस्तान अकेला ऐसा है जिसके पास से दो यूनिवर्सिटी है। फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी पूरी दुनिया में कहीं पर नहीं है। स्ट्रेस फ्री एक्टिविटी की ट्रेनिंग आज सुरक्षा क्षेत्र के लिए आवश्यक हो गई है। इसके लिए ट्रेनर्स की आवश्यकता हो गई है। ऐसे में राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी इस प्रकार के ट्रेनर भी तैयार कर सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गांधीनगर के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में स्वागत किया गया। समारोह में उनके साथ गृह मंत्री अमित शाह, राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल मौजूद रहे। पीएम मोदी ने कहा कि आज के ही दिन नमक सत्याग्रह के लिए इसी धरती से दांडी यात्रा की शुरुआत हुई थी। गांधी जी के नेतृत्व में अंग्रेजों के अन्याय के खिलाफ जो आंदोलन चला, उसने अंग्रेजी हुकूमत को हम भारतीय की सामूहिक सामर्थ्य का अहसास करा दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज भारत में ऐसी मैन पावर को सुरक्षा के क्षेत्र में लाना जरूरी है, जो सामान्य मानवी के मन में मित्रता और विश्वास की अनुभूति कर सके। दुर्भाग्य से आजादी के बाद हमारे देश में कानून व्यवस्था के लिए जो काम होना चाहिए था, उसमें हम पीछे रह गए। आज भी पुलिस के संदर्भ में जो अवधारणा बनी है, वो ये है कि इनसे दूर रहो। वहीं सेना के लिए अवधारणा है कि सेना के लोग आ जाएं तो कोई परेशानी नहीं होती। आपने यूनिफॉर्म पहन ली तो ये सोचने की गलती मत करना की दुनिया आपकी मुठ्ठी में है। यूनिफॉर्म की इज्जत तब बढ़ती है, जब उसके भीतर मानवता होती है। यूनिफॉर्म की इज्जत तब बढ़ती है, जब उसमें करुणा का भाव होता है। यूनिफॉर्म की ताकत तब बढ़ती है, जब माताओं-बहनों, पीड़ित, वंचितों के कर गुजरने की आकांक्षा होती है। आज भारत में ऐसी मैन पावर को सुरक्षा के क्षेत्र में लाना जरूरी है, जो सामान्य मानवी के मन में मित्रता की, विश्वास की अनुभूति कर सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तकनीक एक बहुत बड़ी चुनौती है। अगर विशेषज्ञता नहीं है, तो हम समय पर जो करना चाहिए, वो नहीं कर पाते हैं। जिस प्रकार से साइबर सिक्योरिटी के मुद्दे सामने आते हैं, जिस प्रकार से क्राइम में तकनीक बढ़ती जा रही है, उसी प्रकार से क्राइम को कम करने में तकनीक बहुत मददगार भी हो रही है। लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंदर जनता-जनार्दन को सर्वोपरि मानते हुए, समाज में द्रोह करने वालों के साथ सख्त नीति और समाज के साथ नरम नीति, इस मूल मंत्र को लेकर हमें ऐसी ही व्यवस्था विकसित करनी होगी।
रिपोर्ट- शेलेश वाघेला