गणतंत्र दिवस की झांकी कैसे चुनी जाती है आइये जानते है..

गणतंत्र दिवस परेड में अपने बैराज की झांकियां शामिल नहीं किए जाने को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है। केवल बंगाल तमिलनाडु केरल के ही नहीं बल्कि 35 प्रस्ताव हुए हैं खारिज।

केंद्र सरकार ने जानबूझकर पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों की झांकियों को छांट दिया या केंद्र पर आरोप लगाने वाले नेताओं के इरादे में ही खोट है।

रक्षा मंत्रालय इस साल झांकियों की प्रस्ताव मंगाने के लिए पिछले साल सितंबर में जो चिट्ठी लिखी थी उसके तीसरे बिंदु में साफ तौर पर कहा गया है कि सीमित समय के कारण मंत्रालय कुछ प्रस्ताव को ही शामिल कर पाएगा।

मंत्रालय परेड में भाग लेने वाली तीन सर्वोत्तम झांकियों को ट्रॉफी भी देगा यानी की झांकियों के सभी प्रस्ताव का चयन तो संभव नहीं है या चिट्ठी में ही साफ कर दिया गया था।

जहां तक बात किसी झांकी को चुनने या हटाने की प्रक्रिया का है तो रक्षा मंत्रालय ने पत्र लिखा उसमें साफ कहा गया है कि झांकियों का चयन प्रक्रिया बेहद जटिल है जिसमें बहुत वक्त लगता है। इसमें यह भी कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय सर्वोत्तम प्रस्ताव के चयन के लिए कला के तमाम क्षेत्रों से प्रतिष्ठित शख्सियतों की एक समिति बनाता है। ताकि समय रहते झांकियों का चयन प्रक्रिया की शुरुआत की हो सके। मंत्रालय के पत्र में इस वर्ष के गणतंत्र दिवस की झांकियों का थीम भारत की आजादी के 75 वर्ष रखा है ।इसके तहत पांच विषयों पर झांकियों का प्रस्ताव मांगा गया था-

1. भारत की आजादी के 75 वर्ष स्वतंत्रता आंदोलन

आजादी के 75 वर्ष विभिन्न विचार

आजादी के 75 वर्षों में हासिल उपलब्धियां

आजादी के 75 वर्ष के कार्य

आजादी के 75 वर्ष के संकल्प

इन विषयों पर आधारित झांकियों के निर्माण को लेकर भी विस्तृत निर्देश दिए गए थे जिसमें कहा गया है

● झांकी निर्माण की प्रक्रिया में प्रतिष्ठित संस्थानों के योग्य युवा डिजाइनरों को शामिल किया जाए।

डिजाइनर झांकियों की कड़ाई से नियमित देखरेख करें

● तस्वीरें या वस्तुएं बिल्कुल साफ- साफ दिख जाए इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले वाल्स का उपयोग करें।

मेकाट्रॉनिक्स रोबोटिक्स जैसे मूवी एलिमेंट्स का उपयोग करें

घने छायादार हिस्से को दिखाने के लिए एलईडी की लाइटिंग का इनोवेटिव यूज करें

संगीत की आवाज संतुलित रखें

●कुछ खास शब्दों के चित्रण के लिए 3D प्रिंटिंग का सहारा ले।

झांकियों के लिए पर्यावरण अनुकूल वस्तुओं का उपयोग करें

● परेड के बाद झांकियों का महत्वपूर्ण स्थान पर प्रदर्शित करने की संभावना पर विचार करें ताकि गाढ़ी मेहनत से तैयार रचना को कुछ और लोग देख सकें।

जहां तक संभव हो प्लास्टिक के प्लास्टिक निर्मित उत्पादों के उपयोग से बचें

●आगमेंटेड रियलिटी/ वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीकों का उपयोग करें।

झांकी के ऑप्टिक्स वर्चुअल इफेक्ट को शानदार बनाने के लिए स्पेशलिस्ट इफेक्ट का यथासंभव उपयोग करें

आइए जानते हैं कि आखिरकार कैसे चुनी जाती है गणतंत्र दिवस की झांकी

रक्षा मंत्रालय की चिट्ठी में चयन प्रक्रिया की जानकारी भी विस्तृत दी गई है इसमें कहा गया है कि कला, संस्कृति, चित्रकारी, मूर्तिकला, संगीत, वास्तु कला, नृत्य समेत तमाम क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों की एक एक्सपर्ट कमिटी कई बैठकों में झांकियों के लिए मिले प्रस्ताव पर विचार करती है।

पहले चरण के चयन में प्रस्ताव स्केच/ डिजाइन की छंटनी की जाती है और जरूरत पड़ने पर इनमें बदलाव के सुझाव दिए जाते हैं। इसके डिजाइन का अप्रूवल मिल जाने के बाद प्रस्ताव के थ्री डाइमेंशनल मॉडल की मांग की जाती है ।

कमिटी इन मॉडलों के फाइनल सिलेक्शन के लिए विभिन्न पैमानों पर परखती है। प्रस्ताव भेजने वाले किसी भी भागीदार को एक से ज्यादा झांकी का पेश करने की अनुमति नहीं दी जाती है।

इसमें कहा गया है कि किसी झांकी का चयन कई कारकों पर निर्भर करता है ।चयन प्रक्रिया आमतौर पर अलग-अलग दिन आयोजित 6-7 या इससे भी ज्यादा बैठकों में पूरी होती है।

हर बैठक में कुछ बदलाव के निर्देश दिए जा सकते हैं। उसी पार्टिसिपेंट को अगली मीटिंग में बुलाया जाता है जिसका प्रस्ताव पहले की मीटिंग में खारिज न किया गया हो।

अगर कोई पार्टिसिपेंट मीटिंग में भाग नहीं लेता तो यह मान कर कि उसने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया । लिहाजा उसे अगली मीटिंग का न्योता नहीं दिया जाता।

रक्षा मंत्रालय के पत्र में स्केच डिजाइन को लेकर भी विस्तृत निर्देश दिए गए हैं। एक्सपर्ट कमिटी जब प्रस्तावित स्केच डिजाइन को फाइनल अप्रूवल दे देती है तब सुझाव के आधार पर 3D मॉडल तैयार किया जाता है ।जब 3D मॉडल को भी कमेटी का मंजूरी मिल जाए ,तभी झांकी को परेड में शामिल किया जाता है अन्यथा नहीं। यानी कि मॉडल की स्वीकृति के बाद भी झांकी के छांटे जाने की आशंका बनी रहती है।

अब जब इतने विस्तृत निर्देश निश्चित हो तो इसमें केंद्र सरकार की मनमानी की गुंजाइश कहां बैठती है ? सबसे बड़ी बात है कि झांकी का चयन सरकार नहीं बल्कि समिति करती है। जो विभिन्न क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियों से मिलकर बनती है। ऐसे में खारिज होने पर हंगामा करने वालों को समझना होगा। वह केंद्र सरकार पर नहीं बल्कि विशेषज्ञ समिति पर आरोप लगा रहे हैं।

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