एएमयू के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर और केरल के अब्दुल्ला कुट्टी पर बीजेपी को भरोसा क्यों

भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव 2014 की तैयारियों में पूरी तरह जुट गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 31 अगस्त से एनडीए के सांसदों से मुलाकात का सिलसिला भी शुरू होगा। बीजेपी की पूरी कोशिश है कि लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतकर रिकॉर्ड बरकरार रखा जाये। पार्टी ने अपने दो कार्यकाल में राम मंदिर और जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा कर अपने दो एजेंडे को पूरे कर लिए हैं। अब बीजेपी की तैयारी है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में समान नागरिक संहिता को मुद्दा बनाया जाए।

जानकार ऐसा मानते हैं कि केवल कॉमन सिविल कोड के मुद्दे पर ही लोकसभा का चुनाव जीता नहीं जा सकता है इसके लिए जाति और धार्मिक समीकरणों को भी अपने पाले में बिठाना जरूरी होगा।

भाजपा इस रणनीति पर पिछले 1 साल से काम कर रही है बीजेपी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव से ही ओबीसी एक तगड़ा समीकरण तैयार किया है जिसमें गैर यादव जातियां भी शामिल है।

भारतीय जनता पार्टी ने मुसलमानों को लेकर भी अपना एक रुक को बदला है जहां अभी तक सभी पार्टियां हिंदुओं में पिछड़ी एससी और एसटी जातियों का मुद्दा उठाती रही वही बीजेपी ने पसमांदा यानी कि पिछड़े मुसलमानों का मुद्दा उठाया है। पसमांदा समाज के मुसलमानों को मुख्यधारा में लाने के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री ने कही थी। इसके बाद बीजेपी आक्रामक तरीके से इस पर काम कर रही है।

इस बीच बीजेपी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी का ऐलान किया पार्टी की नई कार्यकारिणी में कई नए चेहरों को जगह दी गई ।इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान को ज्यादा तरजीह मिली है।

भारतीय जनता पार्टी की नई लिस्ट में यूपी विधान परिषद सदस्य और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर को भाजपा ने उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। तारिक मंसूर पसमांदा समाज से आते हैं। भाजपा की कार्यकारिणी में अब्दुल्ला कुट्टी को भी जगह दी गई है जो केरल से है । तारिख मंसूर और कुट्टी दोनों ही बीजेपी के नए मुस्लिम चेहरे है।