Bhagwan Mahaveer Swami: भगवान महावीर स्वामी के 2550 वें निर्वाण वर्ष में आज भी उनके विचार प्रासंगिक है – डॉ. मोहन भागवत

Bhagwan Mahaveer Swami: भगवान महावीर स्वामी के 2550 वें निर्वाण वर्ष के उपलक्ष्य में सोमवार 12 फरवरी 2024 को दिल्ली के विज्ञान भवन में कल्याणक महोत्सव का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सकल जैन समाज के पूजनीय भगवंत साधु संत एवं साध्वी गण की उपस्थिति रही। राष्ट्रसंत परम्पराचार्य

Bhagwan Mahaveer Swami

Bhagwan Mahaveer Swami: प्रज्ञसागर जी मुनिराज, चतुर्थ पट्टाचार्य सुनील सागर मुनिराज, प्रवर्तक डॉ. राजेन्द्र मुनि, आचार्य महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी अणिमा जी एवं महासाध्वी प्रीति रत्ना की विशिष्ट उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी मुख्य वक्ता थे।


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि हम नित्य एकात्मता स्त्रोत कहते हैं जिसमें- वेद, पुराण, सभी उपनिषद्, रामायण, महाभारत, गीता, जैनग्रंथ, बौद्ध, त्रिपिटक तथा गुरुग्रन्थ साहिब में संतों की वाणी, यह भारत की श्रेष्ठ ज्ञान निधि है।


उन्होंने कहा कि दुनिया में शाश्वत सुख देने वाला सत्य सबको चाहिए था। लेकिन दुनिया और भारत में यह अंतर रहा कि बाहर की खोज करके दुनिया रुक गई और हमने बाहर की खोज होने के बाद अंदर खोजना प्रारंभ किया और उस सत्य तक पहुंच गए। वह सत्य है लेकिन देखने वाले की दृष्टि है। पानी का गिलास है कोई कहता है यह आधा भरा है, दूसरा कहता है आधा खाली है, तीसरा कहता है पानी कम है, चौथा कहता है गिलास बड़ा है। वर्णन अलग है मगर वस्तु एक ही है स्थिति एक ही है।


डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि महावीर स्वामी जी का विचार आज भी प्रासंगिक है। सभी अपने है। सुख जड़ पदार्थों में नहीं है। तुमको अकेले को एक व्यक्ति को जीना नहीं है, व्यक्तिवाद को छोड़ो। सबके साथ मिलजुल कर रहो। अहिंसा से चलो। संयम करो। चोरी मत करो। दूसरे के धन की इच्छा मत करो यह सारी बाते जीने का तरीका जो बताया गया। वह शाश्वत है।
इस अवसर पर जैन समाज के पूजनीय भगवंत साधु संत एवं साध्वी गण ने भी अपने विचार प्रकट किए।


आचार्य सुनील सागर महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब प्यास बहुत लगती है तो नीर की आवश्यकता होती है, इसी तरह अशांति और असहिष्णुता के वातावरण में ‘महावीर‘ की आवश्यकता होती है। सत्य अहिंसा और सदाचार हमारे देश में 24 तीर्थंकरों तथा राम कृष्ण, बुद्ध और महावीर से आयी और इसकी संरक्षणा राष्ट्र स्वयंसेवक संघ द्वारा की गई।


डा. राजेन्द्र मुनि जी महाराज ने कहा कि किसी व्यक्ति को जानने के लिए दो पक्ष होते हैं जीवन पक्ष और दर्शन पक्ष, महावीर स्वामी के दोनों ही पक्ष बड़े उत्तम हैं। भगवान महावीर स्वामी ने स्वयं का भी उद्धार किया और संसार का भी उद्धार किया।


इस अवसर पर साध्वी जी म.सा. ने हिन्दू का अर्थ बताया हिंसा से दूर और कहा कि हम सब हिन्दू हैं बेशक हम अलग-अलग मत को मानते हैं हमारा राष्ट्र सर्वोपरि है।

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