नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। फिल्म गंगूबाई की रिलीज को हरी झंडी देते हुए कोर्ट ने कहा है कि गंगूबाई का दत्तक पुत्र बताने वाले शाह खुद को गंगूबाई का दत्तक पुत्र साबित नही कर सके। फ़िल्म गंगूबाई काठियावाड़ी के निर्माता की ओर से कहा गया की फ़िल्म रिलीज़ होने में काम समय बचा हुआ है ऐसे में पर नाम बदलना संभव नहीं है। इसके अलावा याचिका दाखिल करने वाले के पास गंगूबाई के दत्तक पुत्र होने का कोई सबूत भी नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि 2011 में छपी किताब को लेकर इतने साल तक चुनौती क्यो नहीं दी गई?
कल ही सुप्रीम कोर्ट ने गंगूबाई फिल्म के निर्माता से इस फिल्म का टाइटल बदलने पर विचार करने को कहा था। फ़िल्म निर्माता की ओर से गंगूबाई के अपमान की बात को नकारते हुए कहा इस फ़िल्म में गंगूबाई का अपमान नहीं किया गया है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सोशल मीडिया उनकी प्रसंशा से भरा हुआ है। सोशल मीडिया कह रहा है कि यह एक व्यक्ति के उदय की कहानी है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा कि भारत में पीड़ित को अपराधी की तरह दिखाया जाता है। उन्होंने अपना निजी अनुभव साझा करते हुए कहा कि मैं प.बंगाल में ऐसी लड़की से मिली थी। जिसे खाने का लालच देकर कम उम्र में ऐसे काम मे धकेल दिया गया। और अंत में वह एड्स का शिकार हो गई।
भंसाली की ओर से कहा गया कि यह कहानी एक महिला के उत्थान की है। इलाके में उसकी मूर्ति लगी है। वही याचिकाकर्ता ने अभी तक फ़िल्म नहीं देखी है। ऐसा कोई तथ्य याचिकाकर्ता के पास नहीं है, जिससे यह कहा जा सके कि फ़िल्म गंगूबाई उनके चरित्र का अपमान करती है। भंसाली की तरफ से इस याचिका को खारिज किए जाने की मांग करते हुए अपना पक्ष रखा।
रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह