राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री का क्या कहा संसद में विकसित भारत के संकल्प को नया विश्वास पैदा करने वाला है और जन सामान्य को गत 10 वर्ष में देश की जनता ने हमें सेवा करने का मौका दिया। 25 करोड़ देशवासी गरीबी को परास्त करके गरीबों से बाहर निकले हैं।
50 दशक तक गरीबी हटाओ किनारे सुने हैं और 30 करोड लोग गरीबी को परास्त करके बाहर निकले हैं योजना बाध्य तरीके से समर्पित भाव से पूरी संवेदनशीलता के साथ जब गरीबों के लिए जब जमीन से जुड़े लोग जमीन की सच्चाई को जानते हुए जमीन पर जीवन कहते हैं तब तब जमीन पर बदलाव निश्चित होकर रहता है।
हमने सच्चा विकास दिया है गरीब का दुख सामान्य मानवीय तकलीफ मिडिल क्लास के सपने
इसके लिए जज्बा चाहिए पर मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है की कुछ लोगों में यह है ही नहीं।
बारिश के दिनों में प्लास्टिक की चादर वाली छत उससे उसके नीचे जीवन गुजारना कितना मुश्किल होता है पल-पल सपना रो दिए जाते हैं यह हर कोई नहीं समझ सकता कब तक गरीबों को चार करोड़ घर मिले हैं। जिसने उसे जिंदगी को जिया है उसको समझा होता है कि पक्के छत वाले घर मिलने का मतलब क्या होता है। एक महिला जब खुली में सो जाने के लिए मजबूर होती है या तो सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद कठिनाइयों को खेलने के बाद घर से निकलती है तब उसको क्या तकलीफ होती है ऐसे लोग नहीं समझ सकते।
हमने 12 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाकर दिए बहन बेटियों की मुश्किलें दूर करने की कोशिश की।
आजकल मीडिया में कुछ ज्यादा ही चर्चा हो रही है सोशल मीडिया में और अधिक हो रही है कुछ नेताओं का फोकस घरों में स्टाइलिश शावर पर लेकिन हमारा फोकस तो हर घर जल पहुंचने पर
आजादी के 75 साल बाद देश में 75% गरीब 16 करोड़ से भी ज्यादा का कनेक्शन नहीं था हमारी सरकार ने 5 साल में 12 करोड़ परिवारों का घर में नल से जल देने का काम किया और काम तेजी से आगे भी बढ़ रहा
जो लोग गरीबों के झोपड़ी में फोटो स्टेशन कर कर अपना मनोरंजन करते रहते हैं उन्हें गरीब गरीबों की बात बोरिंग ही लगेगी।
मैं उनकी समस्या समझ सकता हूं। समस्या की पहचान करना एक बात है लेकिन अगर जिम्मेदारी है तो समस्या की पहचान करके छोड़ नहीं सकते समाधान के लिए प्रयास करना जरूरी है हमने देखा है हमारे काम को देखिए हमारा प्रयास समस्या का समाधान करना है हम समर्पित भाव से प्रयास करते हैं।
हमारे देश में प्रधानमंत्री हुआ करते थे एमआर क्लीन के फैशन हुआ करता था उन्होंने समस्या को पहचाना उन्होंने कहा था दिल्ली से ₹1 भेजा जाता है तो गांव में 25 पैसा पहुंचता है।
उसे समय पार्लियामेंट में एक ही पार्टी पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही पार्टी का रास्ता उसे समय उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था ₹1 निकलता है 15 पैसा पहुंचता है बहुत गजब के हाथ सफाई थी।
15 पैसा किसके पास जाता था यह देश का सामान्य नागरिक भी आसानी से समझ सकता है।
देश ने हमें अवसर दिया हमने समाधान खोजने का प्रयास किया हमारा मॉडल है बचत भी विकास भी जनता का पैसा जनता के लिए।
हमने जनधन आधार मोबाइल के और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यह देना शुरू किया हमारे कार्यकाल में हमने 40 लाख करोड़ रूपया सीधा जनता के अकाउंट में ट्रांसफर किया। देश का दुर्भाग्य
जब ज्यादा हताशा निराशा फैल जाती है तब ऐसे ही बोलते हैं।
जिनका जन्म नहीं हुआ था जो से 10 करोड़ फर्जी लोग सरकारी खजाने से अलग-अलग योजनाओं का फायदा ले रहे थे।
राजनीतिक फायदा नुकसान का प्रभाव किए बिना 10 करोड़ फर्जी नाम को हटाया और असली लाभार्थियों को खोज खोज कर उनके तक पहुंचाने का अभियान चलाया।
10 करोड़ फर्जी भिन्न भिन्न योजनाओं का 300000 करोड़ रूपया गलत हाथों में जाने से बच गया मैं यह नहीं हाथ किसका था यह नहीं कह रहा हूं गलत हाथों में जाने से बच गया।