दिल्ली के दुश्मन कौन ?

नई दिल्ली। दिल्ली देश की राजधानी जहां रहने वाला हर शख्स खुद को सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है। यहां पर सभी राज्यों और सभी देशों के लोग आते जाते रहते हैं । रिक्शॉ-ऑटो चालक और मजदूरी करने वालों से लेकर बड़े पदों पर नौकरी करने वाले सरकारी और गैर सरकारी लोग और उनका परिवार यहां पर रहता है। दिल्ली की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार के हाथ में है ।

दिल्ली में जब जब कोई अप्रिय घटना घटती है, तब तब ये सवाल उठता है कि दिल्ली की कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाले कौन लोग हैं। दिल्ली में अब तक के हुए अधिकांश अपराधों के खुलासे के बाद जो रिकॉर्ड सामने आते हैं वो वाकई चौकाने वाले हैं। अगर बात करें नशीले पदार्थों की तस्करी की, तो ऐसे अपराधों को अंजाम देने वालों में ज्यादातर अफ्रिकन देशों के नागरिकों का हाथ रहा है।

दूसरी तरफ दिल्ली में चोरी, मर्डर और हिंसात्मक अपराधों के पिछे ज्यादातर हाथ बांग्लादेशी घुसपैठियों का देखा गया है। जैसे दिल्ली का जहांगीरपुरी इलाका बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता है। जहांगीरपुरी में 12 ब्लाक हैं। छोटी-छोटी गलियों में संकरे मकानों में लाखों लोग रहते हैं। उत्तर-पश्चिमी जिले में स्थित इस इलाके में बड़ी संख्या में बांग्लादेश के मुस्लिम रहते हैं। यह इलाका आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। साथ ही नशे के लिए भी यह क्षेत्र काफी बदनाम रहा है। प्रमुख रूप से इलाके के सी ब्लाक, एच ब्लाक, जी ब्लाक में बांग्लादेश के मुस्लिमों की संख्या अधिक है।

यहां पर न तो इनकी कोई जांच पड़ताल होती है और न ही इन्हें किराये पर रखने वाले पुलिस सत्यापन आदि कराते हैं। स्थानीय लोगों की माने तो यहां पर एक लाख से अधिक बांग्लादेशी मुस्लिम रहते हैं। यहां चोरी के सामान की खरीद-फरोख्त का अड्डा भी है। यहां पर नाबालिग भी कई संगीन आपराधिक वारदात को अंजाम दे चुके हैं। अवैध तरीके से देश में दाखिल हुए बांग्लादेश के लोगों को आसानी से रहने को मकान मिला जाता है।

इन सबके अलावा आते हैं रोहिंग्या शरणार्थी । अब सवाल आप के जहन में घूम रहा होगा आखिर ये लोग है कौन कहाँ से आये हैं, किधर बसाए गए हैं, भारत को उनसे क्या समस्या है, क्या हमें उनकी मदद करनी चाहिए या फिर ये किसी साजिश के तहत भारत में बसाए जा रहे हैं? ऐसे तमाम सवाल रोहिंग्या शरणार्थियों के नाम सुनते ही हमारे जेहन में आ जाते हैं.. अब जैसे ही 40 हजार रोहिंग्या मुसलमानों को उनके देश म्यांमार वापस भेजने की बात सरकार की ओर उठाई गयी तो प्रदर्शनकारियों, मानवतावादी सेकुलर लोगों का समूह आँखों में आंसू भरकर सरकार को मानवता का पाठ पढ़ाने आ गया। दरअसल यह लोग पिछले पांच से सात साल में भारत में अवैध रूप से घुसे और देश के विभिन्न इलाकों में रह रहे हैं।

रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह

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