UP Yadav Mahakumbh: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव 3 मार्च को एक बार फिर से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के दौरे पर । लखनऊ में आयोजित यादव महाकुंभ में डॉ मोहन यादव मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे।
UP Yadav Mahakumbh
UP Yadav Mahakumbh: वह आज के कई जिलों से लखनऊ हुआ है। यादव समाज के लोगों को संबोधित भी करेंगे 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर उनके उत्तर प्रदेश के डोरो को चुनाव के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जानिए क्या है मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के उत्तर प्रदेश दौरो के मायने ।
ऐसा माना जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश और बिहार से होकर गुजरता है। उत्तर प्रदेश की 80 और बिहार की 40 लोकसभा सीटों को आगामी लोकसभा चुनाव की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इन दोनों राज्यों में अधिक से अधिक सीटों पर अपनी झोली में लाने के लिए भारतीय जनता पार्टी इस साल की शुरुआत से ही खासी सक्रिय है। बीजेपी उत्तर प्रदेश में अपने मोहन कार्ड के जरिए यादव वोट बैंक पर सेंधमारी की बड़ी तैयारी में दिखाई दे रही है।
भारतीय जनता पार्टी इस बात को बखूबी समझ रही है कि अगर दिल्ली फतह करना है तो बिहार और यूपी में अपने जड़े मजबूत करने होगी। युपी की सियासत में यादव समाज का सबसे बड़ा प्रभाव रहा है। उत्तर प्रदेश में एक दौर में मुलायम सिंह यादव को पिछड़ा वर्ग का सबसे बड़ा नेता माना जाता था जिनका मुस्लिम और यादव एमवाई समीकरण मजबूत हुआ करता था और पूरे राज्य में उनका प्रभाव था। 2022 में उनके निधन के बाद समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव के सामने उनके परंपरागत वोट बैंक को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है।
भाजपा ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा अपनी नई राजनीतिक विसात विछाना शुरू कर दिया है जिसमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव अखिलेश यादव के वोट बैंक के सामने बड़ी चुनौती पेश करने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव यूपी की सियासत में बीजेपी के लिए बड़ा ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं। जिसकी दूसरी झलक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित होने जा रहे पहले महा यादव महाकुंभ में देखने को मिल सकती है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव 13 फरवरी को आजमगढ़ क्लस्टर के अंतर्गत आने वाले पांच लोकसभा क्षेत्र आजमगढ़ लालगंज घोसी बलिया और सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र के पार्टी पदाधिकारी की बैठक में भी शामिल हुए। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव रविवार यानी की 3 मार्च को उत्तर प्रदेश में राज्य के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में पहुंचने वाले यादव समाज से जुड़े लोगों को संबोधित भी करेंगे।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भाजपा मोहन यादव के जरिए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के यादव वोट बैंक को कमजोर करना चाहती है क्योंकि मोहन यादव के बिहार दौरे के बाद यादव वोट बैंक बीजेपी की तरफ उत्साहित नजर आया था। अब उत्तर प्रदेश में यादव महाकुंभ में बीजेपी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का जाना विपक्ष को चिंता में डाल सकता है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की ऐसी सीटें हैं ऐसा कहा जाता है कि यूपी में जिस पार्ट राज्य की कई लोकसभा सीटे ऐसी है जहां यादव वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यादव वोटर को साधने के लिए बीजेपी मोहन यादव को आगे कर रही है।
उत्तर प्रदेश की ओबीसी आबादी में तकरीबन 20% यादव है उत्तर प्रदेश में 9 फीसदी यादव वोट है जो इटावा एटा संत कबीर नगर बदायूं फिरोजाबाद बलिया फैजाबाद जौनपुर मैनपुरी में विधायक है। उत्तर प्रदेश में यादव वोट बैंक की अगर बात करें तो समाजवादी पार्टी का एक छत्र राज रहा है लेकिन 2014 के बाद केंद्र में मोदी सरकार और 2017 में योगी सरकार आने के बाद बड़े पैमाने पर यादव समाज अखिलेश के इस पुरानी वोट बैंक से टूटा है।
समाजवादी पार्टी अपनी मुस्लिम और यादवों के बीच मजबूत के लिए पैठ से मुलायम सिंह यादव के दौर से अपनी सरकार चलती रही है लेकिन यह पहला मौका है जब बिना मुलायम सिंह के समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ेगी । मुख्यमंत्री मोहन यादव मुख्यमंत्री बनने क मोहन यादव के लगातार उत्तर प्रदेश के दौरो के माध्यम से बीजेपी यादव वोटर को मोहन यादव के लगातार उत्तर प्रदेश दौरे को लेकर बीजेपी यादव वोटर का ध्यान अपनी ओर खींचने में जुटी हुई है जिसे मोदी सरकार लगातार तीसरी बार हैट्रिक लगा सके और देश के सबसे बड़े सुबह से अधिक से अधिक सीट जीतकर अपने पाले में ला सके।
साल 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद 2025 में बिहार में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं बिहार में भी भाजपा अपने बलबूते प्रचंड बहुमत की सरकार नहीं बना सकी।ऐसे में भाजपा उत्तर प्रदेश की तरह बिहार में भी मोहन यादव के गांव के जरिए के साबित करना चाहती है कि पार्टी ने ज्यादा ओबीसी जनसंख्या वाले राज्य में ओबीसी चेहरे को मौका दिया है। ऐसे में बिहार में भी अगर जनता बीजेपी को मौका देती है तो यादव समाज को सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है ।18 जनवरी को मोहन यादव पटना पहुंचे थे जहां बीजेपी प्रदेश कार्यालय में राज्य पदाधिकारी के साथ बैठक भी की थी और यादव समाज द्वारा आयोजित समाज समारोह में हिस्सा भी लिया था एक महीने पहले मोहन यादव ने अखिलेश के गढ़ आजमगढ़ से हुंकार भरी थी जहां उनके स्वागत जहां उनके स्वागत में बड़ी भी उत्तर प्रदेश के दूसरे दौर से ठीक पहले यादव महाकुंभ के बड़े पोस्टर से उत्तर प्रदेश पट गया है। जहां यादव मोहन यादव के साथ के बैनर लगा हुआ है।
इस बार आयोजित होने जा रहे यादव महाकुंभ को लेकर भी भाजपा कार्यकर्ताओं में काफी हिस्सा है इसका कारण लोकसभा चुनाव के लिए हाल के समय में राज्य में कांग्रेस और समाजवादी के बीच सीटों का गठबंधन है कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियों के साथ आने से यादव समाज की नई गोलबंद युपी की सियासत में शुरू हो सकती है जिसके लिए बीजेपी ने अब नए सिरे से रणनीति बना रही है जिसके विशात के नए केंद्र में डॉक्टर मोहन यादव हैं जो यादव समाज के जातीय गोलबंदी को तोड़कर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के मंसूबे पर पानी फेर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी का सीधा मुकाबला यहां पर समाजवादी पार्टी से है जिसका यादव समाज मजबूत किला रहा है इसके लिए बंदी को तोड़ने के लिए डॉक्टर मोहन यादव को एक सोची समझी रणनीति के तहत आगे किया जा रहा है ताकि भाजपा यादव समुदाय पर अपनी पकड़ मजबूत कर समाजवादी पार्टी को देश के सबसे बड़े सूबे में कमजोर कर सके।
डॉक्टर मोहन यादव ने अपने बेहद कम समय में अपने कामकाज के मॉडल से पूरे देश और राज्य में एक नई पहचान बनाई है समाज के ओबीसी तबके में उनकी स्वीकार्यता और लोकप्रियता हाल के दिनों में तेजी से बढ़ी है बीजेपी उनकी इस लोकप्रियता को उन राज्यों को भुनाने की तैयारी में है जहां वोटर यादव है इसके जरिए बीजेपी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के जातीय जनगणना के दावों को चित करना चाहती है।
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