Benefits Of Shatavari: शतावरी का सेवन शरीर को मजबूती देता है और मन को शांत करता है। वर्तमान में बहुत सारे न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट्स ऐसे हैं। जो शतावरी का उपयोग करता है। ऐसे उत्पादों की विश्वव्यापी मांग है।
Benefits Of Shatavari
शतावरी को औषधीय पौधों की रानी कहा जाता है।विशेषज्ञों का कहना है कि इसका इस्तेमाल सूखे शरीर को भी रंग देता है।आप इसकी महत्ता को समझ सकते हैं कि पुराने समय में राजा-महाराजा इसे हर दिन खाते थे ताकि अपने कर्तव्यों को पूरा कर सकें।
पिछले दो दशक से काम कर रहे हैं औषधीय पौधों के जानकार रविकांत पांडे बताते हैं कि शतावरी का सेवन शरीर को मजबूती देता है और मन को शांत करता है। वर्तमान में बहुत सारे न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट्स ऐसे हैं। जो शतावरी का उपयोग करता है। ऐसे उत्पादों की विश्वव्यापी मांग है। इसलिए इनकी कीमत भी अधिक है।
पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लाभकारी
शतावरी मूलतः भारत, नेपाल, श्रीलंका और हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है। यह प्राकृतिक रूप से जंगलों, पहाड़ों और समशीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों में उगता है।इसकी खरीद बिक्री स्थानीय बाजार से लेकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हो सकती है। इसे पुरुषों ही नहीं, महिलाओं के लिए भी वरदान माना जाता है। महिलाओं में यह हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मददगार है, तो वहीं पुरुषों का यौन स्वास्थ्य बेहतर बनाता है.
आयुष्मंत्रालय ने शतावरी के लाभों को बताया
आयुष मंत्रालय ने अश्वगंधा, गिलोय, मोरिंगा और आंवला के बाद शतावरी के फायदे बताने के लिए हाल ही में एक नया अभियान शुरू किया है। केंद्रीय आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने एक प्रजाति-विशिष्ट अभियान के तहत शतावरी अभियान का शुभारंभ किया, जो औषधीय पौधों के स्वास्थ्य लाभों की जागरुकता को बढ़ाता है।
एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट्स का भंडार
शतावरी एक हर्ब है जो सेहत के लिए बहुत अच्छा है।इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स हैं, जो शरीर को कई फायदे देते हैं।यह कई फाइटोन्यूट्रिएंट्स और एंटीऑक्सीडेंट्स का भंडार है, जो हमें पॉल्यूशन, कैंसर और दिल की बीमारियों से बचाता है।
मन को शांत करके तनाव को कम करता है
रविकांत के अनुसार, इसका उपयोग शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने के लिए प्राचीन काल से ही किया जाता है। इसमें मौजूद “फोलेट” भावना को सुधारने और तनाव से निपटने की क्षमता को बढ़ाने के लिए।इसकी खूबियों की वजह से यह राजा महाराजाओं द्वारा भी खाया जाता था।इसे खाने से स्ट्रेस को नियंत्रित किया जा सकता है।
पश्चिम चम्पारण और बिहार के कई अन्य क्षेत्रों में खेती
इसे पश्चिम चम्पारण सहित बिहार के कई राज्यों में व्यापक रूप से खेती की जाता है।इसकी खेती से ज़िले के मझौलिया, बगहा, रामनगर तथा नरकटियागंज के किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं।उन किसानों में से एक हैं मझौलिया प्रखंड के रुलहीं गांव के रामाशंकर शर्मा।
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