Hit And Run Law: भारत इस समय बड़ी ट्रांसपोर्ट समस्या से जूझ रहा है। उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश बिहार राजस्थान गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों में ट्रक ड्राइवर बस ड्राइवर और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर सड़कों पर आ गए हैं। उनका कहना है कि नया हिट एंड रन मामला कानून सही नहीं है।
Hit And Run Law
Hit And Run Law: ट्रक ड्राइवर का कहना है किया कानून उनके साथ जाती है लेकिन सवाल अब यह होता है कि क्या ड्राइवर को इस कानून का हर पहलू पता है। क्या उन्हें जानकारी है कि 10 साल की सजा और 7 लाख का जुर्माना सब पर नहीं है सिर्फ उन लोगों पर लगेगी जो एक्सीडेंट करके भाग जाते हैं चलिए आपको बताते हैं पूरी जानकारी।
पहले अगर कोई व्यक्ति गाड़ी चलाते वक्त एक्सीडेंट कर देता था तो उसे व्यक्ति पर आईपीसी की धारा 279, 304 ए और 338 के तहत मुकदमा दर्ज होता था। इसमें धारा 279 का मतलब है लापरवाही से गाड़ी चलाना, ड्राइवर की पहचान के बाद यह धारा 304 ए यानी की लापरवाही से मौत और धारा 338 मतलब जान जोखिम मे डालना, इन धाराओं के तहत दो-दो साल की सजा का प्रावधान था लेकिन मामलों में ड्राइवर को जमानत भी जल्दी मिल जाती थी और पीड़ित परिवार इंसाफ के लिए भटकता रहता था।
अब हिट एंड रन कानून में बदलाव
हिट एंड रन कानून में बदलाव के बाद अब कोई ड्राइवर स्पीड में या लापरवाही से गाड़ी चलाता है और एक्सीडेंट करता है और एक्सीडेंट के बाद पुलिस को या मजिस्ट्रेट को सूचना दिए बिना पीड़ित को ऐसे ही सड़क पर मरता हुआ छोड़कर भाग जाता है तब 10 साल की सजा और 7 लख रुपए के जमाने का प्रावधान किया गया है।
लोकसभा में इन कानून पर बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अगर किसी व्यक्ति से सड़क पर चलते हुए कोई हादसा हो जाता है वह हादसे में पीड़ित व्यक्ति को उठाकर अस्पताल ले जाता है और पुलिस को सूचना देता है तो इस मामले में गाड़ी चालक के साथ रियाद बढ़ती जाएगी और उसे सजा भी कम होगी यानी कि अगर आप गलती से एक्सीडेंट कर देते हैं और आप पीड़ित को छोड़कर भागने की बजाय उसकी जान बचाने की कोशिश करते हैं तो आपको ना तो 10 साल की सजा होगी और ना ही आप पर 7 लाख रुपए का जुर्माना।
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