नवरात्र के तीसरे दिन आदि शक्ति माता विंध्यवासिनी की चन्द्रघंटा के रूप में पूजा अर्चना की गई।

मिर्जापुर, विन्ध्याचल, यूपी। “या देवी सर्व भूतेषु चन्द्रघंटा रूपेण संस्थिता नम: तस्यै, नम: तस्यै, नम: तस्यै नमो नम:” । नवरात्र के तीसरे दिन आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी की चन्द्रघंटा के रूप में पूजा अर्चना की जाती है । भक्तो के कल्याण के लिए आदिशक्ति विंध्यवासिनी नवरात्र के नौ दिनों में शक्ति के नौ रूपों में दर्शन देती है । तीसरे दिन आदिशक्ति की चन्द्रघंटा के रूप में पूजा आराधना की जाती है । चंद्रमा धारण करने वाली माँ अपने भक्तो को शीतलता प्रदान करने के साथ ही उनकी सारी मनोकामनाओ को पूरा करती है । भक्तो को प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ का यह स्वरूप सभी के लिए वन्दनीय है । विन्ध्य और माँ गंगा के संगम तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी चन्द्रघंटा के रूप में दर्शन देकर भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करती है ।

अनादिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्याचल में विन्ध्य पर्वत व पतित पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर श्रीयंत्र पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी को तीसरे दिन चन्द्रघंटा के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है । भारत के मानक समय के लिए विन्दु के रूप में स्थापित विंध्य क्षेत्र में माँ को विन्दुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है । जहाँ एक ओर माँ चंद्रघंटा दुष्टों के संहार अपने घंटे के से करती हैं वहीँ भक्तों के कष्टों का नाश भी घंटे से निकलने वाली ध्वनि से हो जाती है । प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ चन्द्रघंटा सभी के लिए आराध्य है | विद्वान् यह भी बताते हैं कि मंदिरों में घंटा लगाने का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है । साधकों के मणिपूरक चक्र जाग्रत होता है । भक्तो को मेवे से बने लड्डू का भोग माँ को अर्पण करने से सभी मनोकामना पूरी होती है।

माँ चन्द्रघंटा के रूप में देवी की आराधना से मणिचक्र जागृत होता है जिससे व्यक्ति का समयचक्र परिवर्तित होता है । धाम में आने वाले भक्त यहाँ आकर बहुत खुश हैं । भक्तों का कहना है कि मातारानी सभी मनोकामना पूरा करती है । पिछले कई वर्षों से देवी पाठ करने वाले भक्तो की झोली माँ ने भर दिया है । आने वाले भक्त मन की मुराद पूरा होने से बहुत ख़ुशी की अनुभूति करते हैं।

रिपोर्ट-विद्या प्रकाश भारती

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