31 साल की सपा राजनीति में किसी दल के साथ नहीं टिका गठबंधन

लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में समाजवादी पार्टी गठबंधन में 20 खबरें हैं सूत्रों का दावा है कि आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी इस गठबंधन से अलग होकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो सकते हैं हालांकि 1982 में सपा के गठन के बाद से ही अलग-अलग पार्टियों के साथ उसके गठबंधन होते रहे लेकिन वह गठबंधन लंबे समय तक नहीं चला

आपको बता दें कि कती साल में समाजवादी पार्टी की सियासत में किसी भी दल से गठबंधन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले 1993 में बसपा के साथ गठबंधन किया तब मुलायम सिंह यादव और कांशी राम एक साथ आए थे उस समय भी यह दोनों दल बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए एक साथ आए थे दोनों ही दलों ने साथ मिलकर सरकार बनाई लेकिन आप से खटपट के कारण 2 जून 1995 को बसपा ने गठबंधन से किनारा कर लिया

इसके बाद 2003 में बीजेपी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन टूटा तब अगस्त 2003 में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने और बहुमत का दावा पेश किया उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली इसके बाद बहुमत पेश करने का वक्त आया तो समाजवादी पार्टी की संख्या कम पड़ गई लेकिन बीजेपी ने उन्हें समर्थन दिया था हालांकि यह गठबंधन भी लंबे समय तक नहीं चला

2014 में जो मोदी की लहर चली तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में बड़ी जीत हासिल की इसके बाद विधानसभा चुनाव के वक्त अखिलेश के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने चुनाव लड़ा।

इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया हालांकि गठबंधन में सपा की अब तक की सबसे बड़ी हार हुई।

समाजवादी पार्टी 2012 में 224 सीटें जीती थी लेकिन इस बार केवल 47 सीटें मिली जबकि दूसरी और कांग्रेस ने 2012 में 28 सीटों पर जीत की जबकि 2017 में पार्टी को यूपी में केवल 7 सीटों पर ही जीत हासिल हुई।

हालांकि यह गठबंधन भी टूट गया जिसके बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सपा और बसपा दूसरी बार एक साथ है दोनों ही दलों ने मिलकर फिर से बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में मोर्चा बनाया हालांकि चुनाव में भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन को बड़ी हार का सामना करना पड़ा तब बसपा को 10 और समाजवादी पार्टी को 5 सीटें मिली थी कुछ दिनों बाद ही यह भी गठबंधन टूट गय ।

प्रसपा प्रगतिशील समाजवादी सुभासपा,लोद और महान दल का सपा के साथ विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गठबंधन हुआ ।इस गठबंधन का भी कुछ ज्यादा फायदा समाजवादी पार्टी को नहीं मिला लेकिन फिर भी चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा ।

समाजवादी पार्टी गठबंधन को केवल 125 सीटें मिली जिसमें सपा को 111 सीट पर जीत हासिल हुई ,बीजेपी गठबंधन ने 273 सीटों पर चुनाव में गठबंधन के बाद और फिर समाजवादी पार्टी से अलग हो गए।

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